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पीएम मोदी ने 2001 संसद हमले के शहीदों को किया याद, कहा- 'उनका बलिदान देश को हमेशा प्रेरित करेगा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 2001 में संसद हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले...
पीएम मोदी ने 2001 संसद हमले के शहीदों को किया याद, कहा- 'उनका बलिदान देश को हमेशा प्रेरित करेगा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 2001 में संसद हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका बलिदान राष्ट्र को हमेशा प्रेरित करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, "2001 के संसद हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि। उनका बलिदान हमारे देश को हमेशा प्रेरित करेगा। हम उनके साहस और समर्पण के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।"

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। उन्होंने कहा, "कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से अमर शहीदों को सादर श्रद्धांजलि। आज हमने संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए मां भारती के वीर जवानों को पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया। आतंकवाद के खिलाफ पूरा देश एकजुट है।"

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने संसद हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को सलाम किया। आप प्रमुख ने ट्विटर पर लिखा, "आज का दिन हमें उन वीर जवानों की याद दिलाता है, जिन्होंने संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान देश और हमारे लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन सभी वीर जवानों की अमर शहादत को कोटि-कोटि नमन।"

श्रद्धांजलि सभा में सभी को 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए भीषण आतंकवादी हमले की याद दिलाई गई।

स्मरण रहे कि 13 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस में सहायक उपनिरीक्षक जगदीश, मतबर, कमलेश कुमारी, नानक चंद और रामपाल, दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश, बिजेन्द्र सिंह और घनश्याम तथा सीपीडब्ल्यूडी में माली देशराज ने आतंकवादी हमले के दौरान संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

अपराधी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से संबंधित थे - दो पाकिस्तान-पोषित आतंकवादी संगठन - जिन्होंने 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप पांच दिल्ली पुलिस कर्मियों, दो संसद सुरक्षा सेवा कर्मियों, एक सीआरपीएफ कांस्टेबल और एक माली की मौत हो गई और भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 2001-2002 में भारत-पाकिस्तान गतिरोध हुआ।

13 दिसंबर 2001 को हुए हमले में कुल पांच आतंकवादी मारे गए थे, जो गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाली कार में सवार होकर संसद भवन में घुसे थे।

उस समय संसद भवन के अंदर प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग मौजूद थे। बंदूकधारियों ने अपनी कार पर एक नकली पहचान स्टिकर का इस्तेमाल किया और इस तरह आसानी से संसदीय परिसर के आसपास तैनात सुरक्षा को भेद दिया। आतंकवादियों के पास AK47 राइफलें, ग्रेनेड लांचर और पिस्तौल थे।

बंदूकधारियों ने अपनी गाड़ी भारतीय उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत (जो उस समय इमारत में थे) की कार में घुसा दी, बाहर निकले और गोलीबारी शुरू कर दी। उपराष्ट्रपति के गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों पर जवाबी गोलीबारी की और फिर परिसर के दरवाज़े बंद करने शुरू कर दिए।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने कहा कि बंदूकधारियों को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे और यह ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के मार्गदर्शन में किया गया था।

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