जी7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ देश का रुख स्पष्ट किया और परोक्ष रूप से पाकिस्तान को फटकारा। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को गति देने का आग्रह किया तथा इसे ‘‘बढ़ावा देने और समर्थन’’ देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
मंगलवार (स्थानीय समय) को कनाडा में जी7 आउटरीच सत्र में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए - यदि कोई देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। एक ओर, हम अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर सभी प्रकार के प्रतिबंध लगाने में तत्पर रहते हैं। दूसरी ओर, जो देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।"
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक पोस्ट में कहा, "प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दोहराया और पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए नेताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने उनसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को गति देने का आग्रह किया और आतंकवाद को बढ़ावा देने और समर्थन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।"
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया।
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर भी ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को विश्व मंच पर लाने को अपनी ज़िम्मेदारी मानता है।
मोदी ने कहा, "उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता के मूलभूत सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए भारत ने समावेशी विकास का रास्ता चुना है।"
जायसवाल के अनुसार, अपने संबोधन में उन्होंने एक टिकाऊ और हरित मार्ग के माध्यम से सभी के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इस उद्देश्य के लिए भारत की वैश्विक पहलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के बारे में विस्तार से बताया।
मोदी ने कहा, "एआई स्वयं एक ऊर्जा-गहन प्रौद्योगिकी है। यदि प्रौद्योगिकी-संचालित समाज की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से पूरा करने का कोई तरीका है, तो वह नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से ही है। पिछली शताब्दी में ऊर्जा के लिए प्रतिस्पर्धा थी, तथापि इस शताब्दी में "हमें प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग करना होगा"।
मोदी ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाने में भारत के अनुभव तथा इसके मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "उन्होंने एआई की चिंताओं से निपटने और क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक शासन के मुद्दों पर ध्यान देने का आह्वान किया।"
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "डीप-फेक बहुत चिंता का विषय है। इसलिए एआई-जनरेटेड कंटेंट पर वॉटर-मार्किंग या स्पष्ट घोषणा की जानी चाहिए।"
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने जी-7 नेताओं के साथ प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर "उत्पादक" विचार-विमर्श किया तथा बेहतर ग्रह के लिए आकांक्षाएं साझा कीं।
मोदी ने एक्स पर सात देशों के समूह के नेताओं और कनानास्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित लोगों के साथ एक तस्वीर पोस्ट की। उन्होंने पोस्ट में कहा, "वैश्विक प्रगति के लिए एक साथ! प्रमुख वैश्विक चुनौतियों और बेहतर ग्रह के लिए साझा आकांक्षाओं पर जी7 नेताओं के साथ उत्पादक आदान-प्रदान।"
एक अलग पोस्ट में जायसवाल ने कहा, "वैश्विक चुनौतियों से निपटने और साझा मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता।"
उन्होंने उसी समूह की तस्वीर संलग्न करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री @नरेंद्र मोदी @G7 देशों के नेताओं और आमंत्रित भागीदारों के साथ।"
इससे पहले जी7 आउटरीच सत्र के लिए यहां पहुंचने पर मोदी का उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी ने स्वागत किया। गौरतलब है कि यह एक दशक में उनकी पहली कनाडा यात्रा है। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह जी-7 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं से मुलाकात के दौरान महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे तथा वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं पर जोर देंगे।