कांग्रेस का कहना है कि किसानों की सब्सिडी हड़पना भाजपा का विकास मॉडल बन गया है। चुनावी रूपी रेवड़ियों में अब गुजरात स्टेट फर्टीलाइजर केमिकल्सल लिमिटेड (जीएसएफसी) कंपनी की सब्सिडी इसमें भी दर्ज हो गई है। सब्सिडी का चुनावी खेल मोदीजी की नीयत, नीति, नैतिकता को साफ दर्शाता है।
शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जीएसएफसी सरकारी कंपनी है जिसमें 38 फीसद गुजरात सरकार का हिस्सा है जिसके जरिए किसानों को सब्सिडी दी जाती थी। 2012-13 में यह बात सामने आई कि यह कंपनी सब्सिडी वितरित न करके अपने राजस्व वसूली के खाते में इसे दर्ज कर रही है और अपना मुनाफा दिखा रही थी। इस पर तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार ने इस सब्सिडी को बंद कर दिया और करीब 950 करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए कंपनी पर मुकदमा दर्ज कर दिया। सब्सिडी देना भी बंद कर दिया गया। 2014 में केंद्र की मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भी यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा लेकिन गुजरात चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने कंपनी से कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया और फिर से सब्सिडी शुरु करने की बात की जा रही है जो सीधे तौर पर किसानों को धोखा और छलने की बात है।
कांग्रेस का कहना है कि किसी कंपनी से केंद्र का जब मामला चल रहा था तब कैसे समझौता हो गया यह एक गंभीर बात है। अगर पुराने जीएसपीसी (गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेन) की बात करें तो उसे कैग ने सवालों में खड़ा किया था क्योंकि इस कंपनी ने 64 में से 45 गैस ब्लाक वापस कर दिए और इससे 17सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सवाल यह है कि आखिर गुजरात की सरकार किसी कंपनी की बैलेंसशीट ठीक करने के लिए उसे सब्सिडी की मंजूरी कैसे दे सकती है।
एक सवाल के जबाव में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गुजरात के चुनाव में केंद्र की पूरी कैबिनेट लगी हुई और संसद के शीतकालीन सत्र को भी टाल दिया गया है। यह वाकई गंभीर मामला है क्योंकि किसी भी देश की गंभीर समस्या पर चर्चा संसद में ही हो सकती है। चुनाव तो हर राज्य में होते ही रहे हैं लेकिन गुजरात में पूरी सरकार का चला जाना उसकी गंभीरता को दर्शाता है। जीएसटी और नोटबंदी पर कांग्रेस का कहना है कि यह तो वही बात हुई है सोचना से पहले ही निशाना लगा दिया जाए। जीएसटी जैसे गंभीर टैक्स को केंद्र सरकार ने विकृ्त बना दिया है। एक राष्ट्र एक टैक्स की बात सरकार कर रही है लेकिन जब 40 फीसद चीजें मसलन पेट्रोलियम, रियल एस्टेट और शराब इससे बाहर है तब इसे एक राष्ट्र एक टैक्स की श्रेणी में कैसे गिना जा सकता है।