आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद सियासत तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी जहां इस फैसले के बाद कोर्ट की चौखट में जाने की तैयारी कर रही है। वहीं भाजपा और कांग्रेस हमलावर हो गई है।
कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी अजय माकन ने कहा कि कहा, ‘‘भाजपा के निर्देशों पर चुनाव आयोग ने अपनी अनुशंसा में तीन सप्ताह की देरी की और आम आदमी पार्टी की मदद की। राज्य सभा चुनाव से पहले यह अनुशंसा आई होती ये विधायक वोट नहीं कर पाते।’’
AAP has been helped by BJP & EC by delaying the decision for over 3 weeks. If decision would have come before 22nd Dec, these 20 MLAs would've been disqualified & couldn't have voted for RS elections: Ajay Maken, Congress on disqualification of 20 AAP MLAs by EC #OfficeOfProfit pic.twitter.com/pl9emUpXSW
— ANI (@ANI) January 21, 2018
आमा आदमी पार्टी के नेता और मंत्री गोपाल राय ने कहा, “हम राष्ट्रपति से मिलने की उम्मीद कर रहे थे ताकि हमें खुद को पेश करने का मौका मिले। अब हमें यह समाचार प्राप्त हुआ। आप की ओर से हाई कोर्ट और आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी जाएगी।
We had hoped to go to the President asking him to give us a chance to present ourselves. Now we received this news. AAP will knock the doors of HC and even SC if the need be: Gopal Rai, Delhi Minister on recommendation of disqualification of 20 AAP MLAs approved by the President pic.twitter.com/TgyENWSgUf
— ANI (@ANI) January 21, 2018
आप नेता अलका लांबा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने जल्दबाजी में निर्णय लिया, हमें बोलने का मौका नहीं दिया। केंद्र का संवैधानिक संस्थानों का इस तरह इस्तेमाल कर रहा है। हम न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमारे लिए खुले हुए हैं।”
वहीं भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ये संवैधानिक निकाय है जिसने कानून के अनुसार आदेश दिया है।
सत्ताधारी दल का कहना है कि चुनाव आयोग इसका फैसला नहीं कर सकता, इसका फैसला अदालत में किया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा कि विधायकों का पक्ष नहीं सुना गया। बहरहाल आप के 20 विधायकों की सदस्यता पर हाईवोल्टोज सियासी ड्रामा देखने को मिल रहा है।