बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका सौंपने की मांग वाले पोस्टर मंगलवार को राज्य की राजधानी पटना के कई हिस्सों में लगाए गए। कुमार विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली गए हुए हैं।
पटना में लगाए गए इन पोस्टर के बारे में कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की ओर से त्वरित स्पष्टीकरण आया है कि उसका इन पोस्टर से कोई लेना-देना नहीं है। जदयू के सर्वोच्च नेता कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं, उनका एकमात्र उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को मजबूत करना है।
बिहार में जदयू के साथ महागठबंधन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपनी ओर से यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राथमिक लक्ष्य लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना है और अगर इस प्रक्रिया में मुख्यमंत्री को शीर्ष पद मिलता है, तो यह ‘बिहार के लिए गर्व की बात’ होगी।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधानपरिषद नीरज कुमार ने कहा, ‘यह ज्ञात नहीं है कि पोस्टर किसने लगाए हैं। लेकिन इसके निश्चय (संकल्प) में कोई भी दोष नहीं निकाल सकता है।’ वह कुमार की तस्वीर वाले पोस्टरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिनमें लिखा है, ‘अगर सच में विजय चाहिए तो फिर एक निश्चय चाहिए।’
पोस्टर में वर्णित शब्द ‘निश्चय’ नीतीश कुमार सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम की याद दिलाते हैं जो समाजवादी नेता और और बिहार में सबसे लंबे लंबी अवधि तक मुख्यमंत्री रहे कुमार के निचले स्तर तक का विकास मॉडल है।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली बैठक में विभिन्न पार्टियां इस बहुदलीय गठन में कुछ हद तक एकजुटता लाने के लिए सत्तर वर्षीय कुमार को ‘इंडिया’ गठबंधन के संयोजक के रूप में नामित करने पर सहमत हो सकती हैं।
कुमार ने जून में यहां देश भर के भाजपा विरोधी नेताओं की पहली बैठक की मेजबानी की थी और एक महीने बाद बेंगलुरु में आयोजित सम्मेलन में ‘इंडिया’ गठबंधन नाम पर सहमति बनी थी।
कुमार सहित गठबंधन के अधिकांश नेताओं की राय रही है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण कांग्रेस को राष्ट्रीय समूह में सबसे आगे होना चाहिए। वह बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में एक ‘जूनियर पार्टनर’ भी है।
हालाँकि, महागठबंधन के सूत्र इस बात से सहमत हैं कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल के विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में पुनर्विचार का आह्वान किया जा सकता है, जहां कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया ।
इस बीच, बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद ने कहा कि अगर जदयू द्वारा पोस्टर लगाए भी गए तो भी उसमें कोई दिक्कत नहीं है। राजद संस्थापक लालू प्रसाद और नेहरू-गांधी परिवार के बीच व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर राजद का कांग्रेस के कट्टर सहयोगी के रूप में देखा जाता है।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘हर पार्टी अपने नेताओं को आगे बढ़ते हुए देखना पसंद करती है। भले ही नीतीश कुमार की पार्टी ने पोस्टर लगाए हों, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर हमारे मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनते हैं, तो यह हर नागरिक के लिए गर्व की बात होगी।’
हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘ये गौण बातें हैं। हमारे नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा के पटल पर कहा है कि वह उपमुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करके खुश हैं और नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बनने की जल्दी में नहीं हैं।’