कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘अपनी हठ और प्रतिष्ठा की चिंता’ छोड़कर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए, ताकि राष्ट्र अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सके और देश के सामने एक ठोस रोडमैप प्रस्तुत किया जा सके।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को अमेरिका का न्यौता मिलने और एकअमेरिकी सैन्य अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा कि दशकों की कूटनीतिक प्रगति को इतनी आसानी से कमजोर नहीं होने दिया जा सकता।
मुख्य विपक्षी दल पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद के घटनाक्रमों को लेकर कई बार संसद के विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक की मांग उठा चुका है।
सरकार संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से बुलाए जाने की घोषणा कर चुकी है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘खबर है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका के सेना दिवस (14 जून) के मौके पर वॉशिंगटन डीसी में आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। यह खबर भारत के लिए कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से एक बड़ा झटका है।’
उन्होंने कहा, ‘यह वही व्यक्ति है जिसने पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले भड़काऊ और उकसाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया था- सवाल उठता है कि अमेरिका की मंशा क्या है?’
रमेश ने इस बात का उल्लेख किया कि अमेरिकी केंद्रीय कमान के प्रमुख ने भी बयान दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान, अमेरिका का एक ‘शानदार साझेदार’ है।
कांग्रेस नेता का कहना है, ‘मोदी सरकार कह रही है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी जारी है, ऐसे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख का अमेरिकी सेना दिवस में बतौर अतिथि शामिल होना निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है।’ उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन लगातार ऐसे बयान दे रहा है जिसके यही मायने निकाले जा सकते हैं कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में रखकर देख रहा है।
रमेश ने दावा किया कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक भूमिका से अवगत कराकर लौटे प्रतिनिधिमंडल का प्रधानमंत्री अभी स्वागत-सत्कार कर ही रहे हैं और उसी वक्त वाशिंगटन डीसी से इस तरह की खबरें आ रही हैं, जो भारत की कूटनीतिक स्थिति को और असहज बनाती हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री को अब अपनी हठ और प्रतिष्ठा की चिंता छोड़कर एक सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए, ताकि राष्ट्र अपनी सामूहिक इच्छा-शक्ति को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सके और देश के सामने एक ठोस रोडमैप प्रस्तुत किया जा सके।’
रमेश ने यह भी कहा, ‘दशकों की कूटनीतिक प्रगति को इतनी आसानी से कमजोर नहीं होने दिया जा सकता।’