Advertisement

राफेल डील: फ्रेंच वेबसाइट के खुलासे के बाद कांग्रेस ने कहा- सामने आई कमीशन और रिश्वतखोरी की सच्चाई, निष्पक्ष जांच हो

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल लड़ाकू विमान को लेकर कांग्रेस ने सरकार को खूब घेरने की कोशिश की थी।...
राफेल डील: फ्रेंच वेबसाइट के खुलासे के बाद कांग्रेस ने कहा- सामने आई कमीशन और रिश्वतखोरी की सच्चाई, निष्पक्ष जांच हो

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल लड़ाकू विमान को लेकर कांग्रेस ने सरकार को खूब घेरने की कोशिश की थी। कांग्रेस का चुनावी कैंपन ही इस पर केंद्रित हो गया था। एक बार फिर कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस ने फ्रांसीसी मीडिया की एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को कहा कि इस विमान सौदे की निष्पक्ष और गहन जांच होनी चाहिए। अब फ्रांस की मीडिया ने बड़ा दावा किया है। फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने दावा किया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट को भारत में एक बिचौलिये को करीब 1.1 लाख यूरो ‘गिफ्ट के तौर’ पर देने पड़े थे। गौरलतब है कि 2016 में फ्रांस और भारत ने फ्रांसीसी रक्षा समूह दसॉल्ट द्वारा किए गए 36 राफेल जेट लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 7.8 बिलियन यूरो की डील की थी।

कांग्रेस इस मामले पर फिर से आक्रमक हो गई है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला संवाददाताओं से कहा कि फ्रांस के एक समाचार पोर्टल ने अपने नये खुलासे से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इस रुख को सही साबित किया है कि राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। भाजपा और सरकार की तरफ से इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, हालांकि पहले उन्होंने देश के इस सबसे बड़े रक्षा सौदे में किसी भी तरह अनियमितता से कई बार इनकार किया है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने इस सौदे पर कहा, '10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फ्रांस, पेरिस के अंदर 60 हजार करोड़ रुपए के 36 राफेल जहाज खरीदने की घोषणा की गई। ना कोई टेंडर, खरीद प्रक्रिया और ना ही डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर, बस गए और सबसे बड़े रक्षा सौदे की घोषणा कर आए।'

सुरजेवाला ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, 'अब स्पष्ट है कि 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक के सबसे बड़े रक्षा सौदे में; सरकारी खजाने को नुकसान, राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़, क्रोनी कैपिटलिज्म की संस्कृति, कमीशन खोरी और बिचौलियों की मौजूदगी की चमत्कारी गाथा अब देश के सामने है।'

फ्रांसीसी पोर्टल की खबर हवाला देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि, फ्रांसीसी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी (एएफए) ने खुलासा किया है कि 2016 में इस विमान सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद राफेल की निर्माता कंपनी दसॉंल्ट ने एक भारतीय बिचौलिया इकाई-डेफसिस सॉल्यूसंस को 1.1 लाख यूरो का कथित तौर पर भुगतान किया था। उन्होंने सवाल किया, ‘क्या इस मामले की पूरी और स्वतंत्र जांच कराने की जरूरत नहीं है। अगर घूस दी गई है जो यह पता लगना चाहिए कि भारत सरकार में किसे पैसा दिया गया।’

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2018 में फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन एजेंसी पीएनएफ को राफ़ेल सौदे में गड़बड़ी के लिए अलर्ट मिला। साथ ही लगभग उसी समय फ्रेंच कानून के म्युताबिक दासौ एविएशन के ऑडिट का भी समय हुआ। कंपनी के 2017 के खातों की जाँच का दौरान 'क्लाइंट को गिफ्ट' के नाम पर हुए 508925 यूरो के खर्च का पता लगा। यह समान मद में अन्य मामलों में दर्ज खर्च राशि के मुकाबले कहीं अधिक था।

रिपोर्ट में बताया गया कि इस खर्च पर मांगे गए स्पष्टीकरण पर दसॉल्ट एविएशन ने एएफए को 30 मार्च 2017 का बिल मुहैया कराया जो भारत की डिफाइस सोल्यूसन की तरफ से दिया गया था। यह बिल राफ़ेल लड़ाकू विमान के 50 मॉडल बनाने के लिए दिए ऑर्डर का आधे काम के लिए था। इस काम के लिए प्रति नग 20, 357 यूरो की राशि का बिल थमाया गया

सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘क्या पीएम मोदी अब देश को जवाब देंगे।’ उन्होंने कहा कि इस पैसे को दसॉंल्ट ने ‘ग्राहकों को गिफ्ट’ पर किए गए खर्च के रूप में दिखाया है। रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार, अगर किसी तरह के बिचौलिये या कमीशन का सबूत मिलता है तो फिर इसके गंभीर दंडात्मक नतीजे होंगे तथा आपूर्तिकर्ता पर प्रतिबंध, अनुबंध को रद्द करने, भारी जुर्माना लगाने और प्राथमिकी दर्ज किए जाने तक के कदम उठाए जा सकते हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि जब यूपीए शासन के दौरान अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे के संबंध में इसी तरह के आरोपों और असंगतता को सार्वजनिक किया गया था, तब रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सौदे को रद्द करने और जांच का आदेश देने के लिए मानक प्रक्रिया का पालन किया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad