शनिवार को राहुल गांधी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मकान खरीदने वाले मकानमालिकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं जानी और सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल ने कहा कि जिस तरह वह किसानों और आदिवासियों के साथ खड़े हैं, उसी तरह वह मध्यम वर्ग के लोगों की भी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होने कहा कि किसानों एवं आदिवासियों के खिलाफ काम कर रही सरकार अब उसी तरह से मध्यम वर्ग के खिलाफ भी काम कर रही है।
संशोधित रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) विधेयक के खिलाफ राहुल के मोर्चा खोलने से राज्यसभा में इस विधेयक पर पांच मई को चर्चा होने और पारित किए जाने पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। राजग सरकार के पास राज्यसभा में इतना संख्याबल नहीं है कि वह विधेयक को उच्च सदन में पारित करा सके।
राहुल ने मकान खरीदने वाले लोगों को भरोसा दिलाया कि जिस तरह मैं गरीबों और आदिवासियों की मदद कर रहा हूं, उसी तरह मैं मध्यम वर्ग के लिए करूंगा। मैं उनका साथ दूंगा। राहुल ने कहा कि उन्होंने सीखा है कि न सिर्फ किसानों और आदिवासियों को, बल्कि मध्यम वर्ग के लोगों को भी जमीन से जुड़े मामलों पर दबाया जाता है। मकान खरीदारों को उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन देते हुए राहुल ने कहा कि पारदर्शिता में कमी के कारण खरीदार असमंजस में हैं।
राहुल ने कहा कि आज बिल्डर यह कहते हैं कि बस आप पैसा दे दो इतने दिनों में फ्लैट मिल जाएगा लेकिन सालों बीतने पर भी उन्हें फ्लैट नहीं दिया जाता। उन्हें बताया जाता है कि फ्लैट का सुपर डूपर एरिया बहुत बड़ा होगा पर जो दिया जाता है वह कुछ और ही होता है। राहुल ने कहा कि सरकार उस विधेयक को खत्म करने पर आमादा है जिसे कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन के लिए लेकर आई थी। विधेयक के खिलाफ बोलते हुए राहुल ने कहा कि पहले के विधेयक में पारदर्शिता थी पर अब नहीं है। आप जिस कारपेट एरिया पर दस्तखत करते हैं, आपको वही दिया जाता है। अब उन्होंने उसे खत्म कर दिया है और इसे खरीदार हितैषी के बजाय बिल्डर के फायदे वाला बना दिया है। इससे पहले जमीन अधिग्रहण विधेयक को लेकर राहुल मोदी सरकार पर काॅरपोरेट हितैषी, किसान-विरोधी और गरीब विरोधी होने के आरोप लगा चुके हैं।