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माल्या के खुलासे पर राहुल गांधी बोले- प्रधानमंत्री तुरंत जांच कराएं, वित्त मंत्री इस्तीफा दें

लगभग 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज मामले में भारत से भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के बयान पर सियासत तेज हो...
माल्या के खुलासे पर राहुल गांधी बोले- प्रधानमंत्री तुरंत जांच कराएं, वित्त मंत्री इस्तीफा दें

लगभग 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज मामले में भारत से भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के बयान पर सियासत तेज हो गई है। माल्या ने लंदन कोर्ट में बड़ा दावा किया है कि भारत छोड़ने से पहले उन्होंने वित्त मंत्री से मुलाकात की थी और सभी मामलों को निपटने की बात कही थी लेकिन बैंकों ने उनके सेटलमेंट पर सवाल खड़े कर दिए थे। माल्या के इस दावे को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को सरकार पर हमला बोला और कहा कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माल्या के बयान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का इस्तीफा मांगा है साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूरे मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि माल्या की ओर से लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और पीएम को तत्काल इस मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। राहुल ने कहा कि जांच पूरी होने तक अरुण जेटली को वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहिए।

इससे पहले पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भगोड़ों का साथ, लुटेरों का विकास” भाजपा का एकमात्र लक्ष्य है।''

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी, आपने ललित मोदी, नीरव मोदी, ‘हमारे मेहुल भाई’, अमित भटनागर जैसों को देश के करोड़ों रूपये लुटवा, विदेश भगा दिया। विजय माल्या श्री अरुण जेटली से मिलकर, विदाई लेकर, देश का पैसा लेकर भाग गया है? चौकीदार नहीं,भागीदार है!‘‘

वेस्टमिंस्टर कोर्ट के बाहर माल्या ने किया दावा

माल्या ने बुधवार को कहा कि वह भारत से रवाना होने से पहले वित्त मंत्री से मिला था। लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने के लिए पहुंचे माल्या ने संवाददाताओं को बताया कि उसने मंत्री से मुलाकात की थी और बैंकों के साथ मामले का निपटारा करने की पेशकश की थी।

अरुण जेटली ने किया खारिज

उधर, वित्त मंत्री जेटली ने माल्या के बयान को झूठा करार देते हुए कहा कि उन्होंने 2014 के बाद उसे कभी मिलने का समय नहीं दिया था। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ''2014 से मैंने उन्हें कोई अपॉइंटमेंट नहीं दिया है। हालांकि, वह राज्य सभा सांसद थे तो इस विशेषाधिकार का उन्होंने एक बार गलत इस्तेमाल किया। मैं सदन की कार्रवाई से अपने कमरे में जा रहा था तब वह दौड़ते हुए मेरे पास आए और सेटलमेंट की बात की। मुझे उनके इस तरह के झांसे भरे प्रस्तावों के बारे में पहले बताया गया था इसलिए मैंने उनसे साफ कहा कि मुझसे बात करने का कोई मतलब नहीं। आप अपने ऑफर बैंकर को दें। उनके हाथों में जो कागज थे वे भी मैंने नहीं लिए। सिर्फ इस एक वाक्य के अलावा, जहां उन्होंने अपने विशेषाधिकार का गलत इस्तेमाल किया, उनसे मुलाकात का कोई सवाल ही नहीं उठता।''

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