रविवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की पहली बैठक हुई। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों से आए 35 वक्ताओं ने अपनी बात रखी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां पार्टी का आधार बढ़ाने को सबसे बड़ी चुनौती बताया, वहीं कांग्रेस नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों को लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की।
राहुल गांधी ने कहा, 'मैं बड़ी लड़ाई लड़ रहा हूं। सबको पार्टी फोरम में बोलने का अधिकार है, लेकिन पार्टी का कोई नेता गलत बयान देता है, तो मैं कार्रवाई करने में हिचकूंगा नहीं।' माना जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी नेता शशि थरूर के बयान को लेकर नाराज हैं। बता दें कि शशि थरूर ने पिछले दिनों कहा था कि बीजेपी 2019 में जीतती है तो भारत 'हिंदू पाकिस्तान' बन जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि सभी वक्ताओं ने एक सुर में राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को आगे बढ़ाने की बात कही। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस कार्य समीति में हुई चर्चा का सार एक वाक्य में कहा जा सकता है। पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में 2019 के चुनावों की रणभेरी बजा दी है।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव पूर्व या चुनाव के बाद के गठबंधन करने का फैसले लेने के लिए अधिकृत किया गया है। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस कश्मीर से कन्याकुमारी तक अकेला संगठन जो लड़ने में सक्षम है। आपको बता दें कि सीडब्ल्यूसी कांग्रेस पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण फैसले लेने वाला अंग है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह नई कांग्रेस कार्यकारिणी समिति में वरिष्ठ सदस्य हैं। यही समिति इस साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की कोर टीम का गठन करेगी।
राहुल गांधी ने ने पिछले दिनों 51 सदस्यीय कार्य समिति का गठन किया था जिसमें 23 सदस्य, 18 स्थाई आमंत्रित सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं। पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की कमान संभालने वाले गांधी ने नई कार्य समिति में अनुभवी और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है।