केंद्र की मोदी सरकार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस महामारी के असर के चलते सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की नौ प्रतिशत इकाइयां बंद हो गईं जिससे मित्रों को फायदा हुआ लेकिन देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई और बड़ी संख्या में रोजगार खत्म हो गया।
राहुल गांधी ने अपने प्रश्नों के उत्तर में मंत्री की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर शुक्रवार को ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसएमई पर मैंने सरकार से कुछ गंभीर प्रश्न किए थे जिनके जवाब में उन्होंने माना है कि कोविड काल में 9 प्रतिशत एमएसएमई बंद हो गयीं। यानी मित्रों का फ़ायदा, अर्थव्यवस्था कमज़ोर, रोज़गार ख़त्म!
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने गुरुवार को निचले सदन में राहुल गांधी के सवाल के लिखित जवाब में राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड की ओर से कराए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2020 में स्वरोजगार करने वाले 11,716 लोगों ने आत्महत्या की।
राहुल गांधी ने मंत्री से एसएसएमई क्षेत्र पर कोरोना वायरस महामारी के असर और सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के संदर्भ में जानकारी मांगी थी। उन्होंने सरकार से मुख्य रूप से यह सवाल किया था कि क्या सरकार ने खुदकुशी करने वाले छोटे कारोबारियों एवं दुकानदारों के परिवारों को मदद दी? क्या सरकार ने कोरोना महामारी के कारण एमएसएमई क्षेत्र पर पड़ने वाले असर का कोई अध्ययन कराया है?
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा कि पिछले साल अगस्त में किए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 5,744 एमएसएमई को शामिल किया गया था, जिसमें पाया गया कि उनमें से 91 प्रतिशत काम कर रहे हैं जबकि 9 प्रतिशत कोविड-19 के कारण बंद हो गए हैं। नारायण राणे ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने सूचित किया है कि साल 2019 में स्वरोजगार से जुड़े 9,052 लोगों ने आत्महत्या की और 2020 में 11,716 ऐसे लोगों ने खुदकुशी की। ब्यूरो की ओर से एमएसएमई उद्यमियों द्वारा आत्महत्या के आंकड़े को श्रेणीबद्ध नहीं किया गया है।
मंत्री ने बताया कि एमएसएमई क्षेत्र के सहयोग के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत कई कदम उठाए गए हैं। एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये के अधीनस्थ ऋण दिए गए। एमएसएमई सहित व्यवसाय क्षेत्र के लिए 3 लाख करोड़ रुपये को ‘कोलेटरल मुक्त ऑटोमेटिक ऋण’ दिए गए। अब इसकी तीन लाख करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।