देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के खतरे और 14 अप्रैल तक देशव्यापी लॉकडाउन के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कोविड-19 पर सुझाव देते देते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी इस चुनौती से लड़ने और उस पर काबू पाने में सरकार के साथ खड़े हैं। उन्होंने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में हो रही समस्याओं की ओर ध्यान देने का आग्रह करते हुए कहा कि अन्य सभी बड़े देश अलग-अलग कदम उठाकर पूरी तरह से लॉकडाउन रणनीति का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर सरकार के वित्तीय पैकेज की घोषणा की सराहनीय है, लेकिन अब इस पैकेज का शीघ्र वितरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आगे उन्होंने वेंटिलेटर का उत्पादन बढ़ाने,अधिक परीक्षण करने और अधिक बड़ी क्षमता वाले अस्पताल स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
बता दें, देश में रविवार तक 179 ताजा मामलों के साथ कोविड-19 के मरीजों की संख्या 979 तक पहुंच गई है जबकि संक्रमण से मौत का आंकड़ा भी 26 हो गया है।
अलग कदम उठाने होंगे
आगे उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “पूरी दुनिया इस वायरस के तेजी से बड़ रहे प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने को मजबूर है। भारत ने भी तीन सप्ताह के लॉकडाउन किया है। हमे संदेह है कि सरकार इस अवधि को और आगे बढ़ाएगी। हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत की परिस्थिति भिन्न है। इसलिए हमें अन्य बड़े देशों की तुलना में अलग-अलग कदम उठाने होंगे।” पत्र में आगे कहा कि भारत में गरीब लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जो दैनिक आय पर निर्भर हैं। पूर्ण आर्थिक बंदी के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
सोनिया गांधी ने भी पत्र लिखकर की थी मांग
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि लॉकडाउन के दौरान कई जगहों पर रास्तों में फंसे मजदूरों एवं गरीबों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श जारी किया जाए। इस पत्र में उन्होंने लॉकडाउन में फंसे उन गरीबों का जिक्र किया जो लॉकडाउन के बाद अपने घर जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही फंस गए।
उन्होंने कहा था, 'लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों को पैदल जाने को मजबूर हैं क्योंकि सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद है। बहुत सारे लोग अपने घरों एवं होटलों में हैं और उनके पास पैसे नहीं हैं।'
‘पैदल ही घर जाने को मजबूर हैं मजदूर’
कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्र में कहा था कि लाखों मजदूर बीच रास्ते में फंसे हुए हैं और पैदल ही घर जाने को मजबूर हैं। कई लोग गेस्ट हाउस और होटलों में हैं जिनके पास पैसे भी नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए परिवहन सेवा मुहैया कराई जाए।
जिला कलेक्टर को करनी चाहिए मदद
उन्होंने ये भी कहा कि जिला कलेक्टर को ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए। उन्हें मजदूरों की खाने पीने की व्यवस्था करनी चाहिए और उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो होटल और गेस्ट हाउस का खर्चा वहन नहीं कर सकते हैं।