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राहुल का तंज, किसानों के आंसू भी देख लें मोदीजी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड इलाके के महोबा में पदयात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को न सिर्फ उद्योगपतियों के बारे में बल्कि भोजन उपलब्ध कराने वाले किसानों और मजदूरों के बारे में भी सोचना चाहिए ।
राहुल का तंज, किसानों के आंसू भी देख लें मोदीजी

राहुल ने शनिवार को  मंडी परिषद के निकट पावा गांव तिराहे से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनके साथ पार्टी के युवा कार्यकर्ता थे। वह सूपा गांव तक पैदल गए और वहां एक किसान पंचायत को संबोधित किया। उन्होंने किसानों और मजदूरों के साथ खड़े होने और उनके लिए संघर्ष करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। बुंदेलखंड से लोगों के पलायन के मुद्दे पर राहुल ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार और उत्तर प्रदेश की सपा सरकार यदि संप्रग सरकार के मनरेगा कार्यक्रम को गंभीरता से लागू करते तो किसानों का पलायन रोका जा सकता था।

हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या पर शुक्रवार को लखनऊ में शोक व्यक्त करने के दौरान भावुक हुए मोदी पर तंज कसते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आप जो खाना खाते हैं उसे उपलब्ध कराने वाले किसानों के प्रति भी पीएम को थोड़ी सहानुभूति दिखानी चाहिए। राहुल ने अपने संबोधन में कहा, कल लखनऊ में बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में हमने मोदी जी को भावुक होते देखा.. अपने भाषण के दौरान वह चुप हो गए थे और उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। मैं कहना चाहता हूं मोदी जी आप जो खाना खाते हैं उसमें जो दाल होती है, वह आज 220 रुपये किलो बिक रही है जो कि किसानों द्वारा आप को उपलब्ध कराया जाता है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सूखे की मार झेल रहे क्षेत्र के विकास के लिए अधिक धनराशि की मांग करते हुए कहा, मैं मोदीजी से मांग करूंगा कि वह किसानों, मजदूरों और गरीबों के लिए भी थोड़ा सोचें क्योंकि न केवल उद्योगपति बल्कि वह भी देश को चलाते हैं। अपने करीब सात किलोमीटर लंबी पदयात्रा के दौरान ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से सरकार द्वारा बचाए गए पैसे को क्षेत्र में बांटे जाने की मांग की। उन्होंने कहा, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान कच्चे तेल की कीमत 150 बैरलप्रति डॉलर थी जो कि गिर कर अब सिर्फ 28 डॉलर रह गई है। यहां बचाए गए बहुत सारे पैसों का उपयोग बुंदेलखंड की तरह पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए किया जा सकता है।

बुंदेलखंड में 2011 की जनगणना के मुताबिक क्षेत्र में 1.83 करोड़ लोग रहते हैं। ये क्षेत्र सूखे की चपेट में है और असमय बारिश की भी मार किसानों पर पड़ी है। इससे उनकी शीतकालीन फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। पिछले कुछ साल में यहां के 13 जिलों में किसानों ने खराब फसल की वजह से आत्महत्या की है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस मुआवजे का वायदा किया है, वह जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचा। बीज के लिए धन नहीं है। सिंचाई के लिए पानी नहीं है। किसान हताश हैं।

उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दल बुंदेलखंड में सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी सरकार इस क्षेत्र से जुडे मुद्दों का समाधान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन हाल ही में बुंदेलखंड गए थे। उन्होंने वहां विकास योजनाओं का जायजा लिया। मुख्यमंत्री भी बुंदेलखंड जाने की बात कह चुके हैं। महीने भर पहले राहुल गांधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश गए थे। वहां उन्होंने चीनी मिलों से बकाया राशि नहीं मिलने से परेशान गन्ना किसानों से मुलाकात की थी।

 

 

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