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नेशनल हेराल्ड मामले में बढ़ेंगी राहुल-सोनिया की मुश्किलें, दिल्ली पुलिस ने दर्ज की नई FIR

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने रविवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक...
नेशनल हेराल्ड मामले में बढ़ेंगी राहुल-सोनिया की मुश्किलें, दिल्ली पुलिस ने दर्ज की नई FIR

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने रविवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक नई एफआईआर दर्ज की, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा छह नाम शामिल थे। ईडी मुख्यालय द्वारा आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराने के बाद यह एफआईआर दर्ज की गई।

इस बीच, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने या न लेने पर फैसला फिर स्थगित कर दिया।

आरोपपत्र में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के नाम धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज हैं। 

ईडी ने नेशनल हेराल्ड के मूल प्रकाशक, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है। अदालत अब 16 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी।

इससे पहले, अदालत ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें "संज्ञान पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सुनवाई का अधिकार है।" 

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने जोर देकर कहा कि यह अधिकार निष्पक्ष सुनवाई के लिए आवश्यक है, जैसा कि नए आपराधिक कानून (बीएनएसएस) की धारा 223 द्वारा समर्थित है।

अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि धारा 223, संज्ञान लेने से पहले भी अभियुक्त को सुनवाई का विशेष अवसर प्रदान करती है। अदालत ने कहा कि यह प्रावधान पीएमएलए के साथ टकराव नहीं करता, बल्कि आपराधिक कार्यवाही में निष्पक्षता और पारदर्शिता को मज़बूत करता है। 

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि बीएनएसएस एक प्रगतिशील कानून है जिसका उद्देश्य अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा करना है।

अदालत ने आगे कहा कि राउज़ एवेन्यू कोर्ट में पहले से ही विचाराधीन मामले में आईपीसी की धारा 403, 406, 420 और 120बी शामिल हैं। पीएमएलए नियमों के अनुसार, संबंधित अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई एक ही अदालत में होनी चाहिए।

नेशनल हेराल्ड मामला पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर शिकायत से उत्पन्न हुआ था, जिसमें कांग्रेस नेताओं और एजेएल से जुड़ी कंपनियों द्वारा धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। 

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