लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं के बीच विवादित बयानों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। बयानों का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और मर्यादा भी तार-तार होती जा रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कहकर नया विवाद पैदा कर दिया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भाजपा की ओर से इसलिए चुना गया था ताकि गुजरात चुनाव से ठीक पहले उनकी जाति के मतदाताओं को खुश किया जा सके। इस बयान के बाद भाजपा ने तुरंत जवाबी हमला किया और राष्ट्रपति को चुनावी आरोपों में घसीटने के लिए गहलोत की निंदा की और चुनाव आयोग से कार्रवाई करने की मांग की। बयान पर विवाद खड़ा होने पर गहलोत ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया। वह राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करते हैं।
‘समीकरण में छूट गए आडवाणी साहब’
गहलोत ने जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि गुजरात चुनाव में फायदा उठाने के लिए भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया ताकि कोली समुदाय को अपने पाले में लाया जा सके। उन्होंने कहा, 'चूंकि गुजरात के चुनाव आ रहे थे। वे घबरा चुके थे कि हमारी सरकार गुजरात में नहीं बनने जा रही है...मेरा ऐसा मानना है कि रामनाथ कोविंद जी को जातीय समीकरण बैठाने के लिए (राष्ट्रपति) बनाया। और आडवाणी साहब छूट गए।' राष्ट्रपति कोविंद दलित समुदाय में आने वाले कोली जाति से ताल्लुक रखते हैं। गौरतलब है कि गुजरात में 14वीं विधानसभा चुनाव दिसंबर 2017 में हुए थे। कोविंद जुलाई 2017 में राष्ट्रपति बने थे।
भाजपा ने की चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग
गहलोत के इस बयान के बाद भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत खुद संवैधानिक पद हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पर जातिगत टिप्पणी की है। इससे कांग्रेस की दलित विरोधी मानसिकता उजागर होती है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव आयोग से राष्ट्रपति के बारे में गहलोत की टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेने की मांग करते हैं। उन्होंने गहलोत से इस मामले में माफी मांगने की भी मांग की है।
जारी है नेताओं की विवादित बयानबाजी
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले गहलोत के इस बयान के बाद अब राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है। लोकसभा चुनाव के बीच विवादास्पद बयानों को लेकर चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद रैलियों में नेताओं के विवादित बयानों का सिलसिला जारी है। कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने बिहार के कटिहार में एक विवादित बयान दिया है। सिद्धू ने जनसभा में मुस्लिम समुदाय से एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ, मायावती, आजम खान, मेनका गांधी, सतपाल सत्ती, उमा भारती अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी नाराज, चुनाव आयोग को लगाई थी फटकार
हर रोज नेताओं के विवादित बयानों को लेकर एक जन हित याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के रुख पर नाराजगी जताई थी। गलत बयानी पर आयोग की कार्रवाई से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने उसे फटकार लगाई। आयोग द्वारा आदित्यनाथ और मायावती समेत कुछ नेताओं पर प्रचार करने से रोक लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस पर सख्त टिप्पणी की कि अब आपको अपनी शक्तियां वापस मिल गईं?