कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को मांग की कि राजस्थान सरकार राज्य के लोक सेवा आयोग का पुनर्गठन करे ताकि इसकी विश्वसनीयता बहाल हो सके।
एक बयान में पायलट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल सितंबर में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य बाबूलाल कटारा को ग्रेड-2 शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था और अब विशेष अभियान समूह (एसओजी) ने पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामूराम रायका को गिरफ्तार किया है।
उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तारियों ने आरपीएससी जैसी प्रतिष्ठित संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आरपीएससी की कार्यप्रणाली और चयन प्रक्रिया पर पहले भी अपने विचार रखे हैं और अब उन आशंकाओं की पुष्टि हो रही है।
पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा, 2021 के पेपर लीक मामले में अब तक 61 आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं। 61 आरोपियों में 33 प्रशिक्षु उपनिरीक्षक, नौकरी ज्वाइन नहीं करने वाले चार चयनित अभ्यर्थी और पेपर लीक गिरोह से जुड़े 24 लोग शामिल हैं। कांग्रेस नेता की ओर से जारी बयान के अनुसार 65 अन्य आरोपियों की तलाश अभी जारी है।
पायलट ने कहा कि रीट समेत दर्जनों परीक्षाओं और ग्रेड-2 शिक्षक, पुलिस उपनिरीक्षक, कनिष्ठ अभियंता और वन रक्षकों की भर्ती में पेपर लीक के आरोपों ने लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया है और उनके अभिभावकों व परिजनों में निराशा फैल गई है। उन्होंने कहा कि युवाओं को लग रहा है कि उनका भविष्य अंधकारमय है और वे पूरी तरह से हतोत्साहित हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थी और उनके अभिभावक, जो अपने बच्चों को शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, इन खुलासों के कारण चिंतित हो रहे हैं कि अगर पेपर लीक हो गए तो उनकी मेहनत बेकार हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा के हाल ही में हुए बजट सत्र में घोषणा की गई थी कि राजस्थान में चार लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी, जिनमें से एक लाख नौकरियां मार्च 2025 तक दी जाएंगी। पायलट ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार की यह जिम्मेदारी है कि भर्ती परीक्षाओं और इन नौकरियों के लिए चयन प्रणाली में पूरी पारदर्शिता बरती जाए और साथ ही परीक्षा की तैयारी करने वालों और उनके अभिभावकों में परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के प्रति विश्वसनीयता बनी रहे।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    