बसपा प्रमुख मायावती की चेतावनी के बाद राजस्थान और मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने दलितों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि दलित वर्ग के खिलाफ दर्ज मामलों में कितने अपराधी हैं, कितने नहीं, यह जांच का विषय है। जांच के बाद इन्हें मेरिट पर वापस लिया जाएगा। वहीं, मध्यप्रदेश के कानून मंत्री पी सी शर्मा ने कहा है कि 2 अप्रैल भारत बंद के दौरान हिंसक घटनाओं के आरोपी दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे।
मायावती ने दी समर्थन वापसी की धमकी
समर्थन वापसी की धमकी पर गहलोत ने कहा कि राजनीति में नेता कैडर को अपना मैसेज देने के लिए ऐसी बात करते हैं। वे अपना काम करें, हम अपना काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अपना काम करेगी। कानून अपना काम करेगा, मामलों की जांच होगी। हमारा मकसद है कि निर्दोष इन मामलों में न फंसे।गहलोत ने समर्थन के मुद्दे पर कहा कि मायावती ने बिना मांगे समर्थन दिया इसके लिए उनको धन्यवाद।
सोमवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि अगर अप्रैल 2018 के भारत बंद के दौरान जातिगत और राजनीतिक द्वेष से फंसाए गए लोगों के केस वापस नहीं लिए गए तो मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार से समर्थन करने के फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। इसके बाद कानून मंत्री का बयान सामने आया।
एससी-एसटी एक्ट के विरोध में हुए थे प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में गिरफ्तारी की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए आदेश दिया गया था कि मामला दर्ज होने के बाद उसकी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा विवेचना की जाए। इसके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के पुराने नियमों को लागू करवाने के लिए 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद का आयोजन किया गया था। इस दौरान मध्यप्रदेश में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। हिंसा की साजिश रचने और हिंसक कार्रवाई करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
प्रदर्शनकारियों ने केवल सरकारी संपत्ति नहीं बल्कि निजी संपत्तियों और सवर्ण जाति के लोगों को निशाना बनाया था। बसपा ने इन्हीं आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग की थी।