जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छे 370 को सरकार ने आज वापस ले लिया है। अमित शाह द्वारा राज्यसभा में दिए गए बयान से जम्मू कश्मीर से लेकर देश की सियासत में हंगामा मच गया है। शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने और राज्य के पुनर्गठन हटाने की सिफारिश के बाद इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए पीडीपी के सांसदों ने अपने कपड़े फाड़कर प्रदर्शन किया तो वहीं, बहुजन समाजपार्टी ने अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के संकल्प का राज्यसभा में समर्थन किया। वहीं, कांग्रेस और टीएमसी भी इस बिल के कड़े विरोध में है। सरकार द्वारा रविवार से नजरबंद करके रखीं गईं पीडीपी नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सकरार के इस फैसले का असंवैधानिक बताया है।
केंद्र सरकार के फैसले का किसने किया समर्थन और किसने किया विरोध-
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के इस फैसले को बताया असंवैधानिक
महबूबा मुफ्ती ने अमित शाह द्वारा संसद में प्रस्ताव पेश करने के तुरंत बाद ट्वीट करते हुए कहा,'आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है। आज 1947 की तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा 'टू नेशन थ्योरी' को रिजेक्ट करने का फैसला गलत साबित हुआ है। सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है।'
एक अन्य ट्वीट में महबूबा ने लिखा, 'मैं पहले ही अपने घर में नजरबंद हूं और मुझे किसी से मिलने की इजाजत नहीं है। मैं श्योर नहीं कि मुझे कितनी देर सबसे बात करने की इजाजत मिलेगी, क्या यह वही भारत है जिसमें हमारा विलय किया गया था।'
उमर बोले- इसके खतरनाक परिणाम होंगे
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नैशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने बयान में कहा,'भारत सरकार द्वारा लिए गए एकपक्षीय और चौंकाने वाले फैसले ने उस विश्वास के साथ धोखा किया है, जिसके साथ राज्य के लोग साल 1947 में भारत के साथ आए थे। इस फैसले के दूरगामी और बेहद गंभीर परिणाम होंगे। यह ऐलान उस वक्त किया गया, जबकि पूरी कश्मीर घाटी एक आर्मी के कैंप के रूप में तब्दील हो चुकी है। केंद्र का फैसला एक पक्षीय, अवैध और असंवैधानिक है और नेशनल कॉन्फ्रेंस इसे चुनौती देगी।'
राष्ट्रीय एकीकरण को मजबूत करने की दिशा में एक साहसिक कदम: आडवाणी
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैं सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले से खुश हूं और मेरा मानना है कि यह राष्ट्रीय एकीकरण को मजबूत करने की दिशा में एक साहसिक कदम है।
पी चिंदबरम ने क्या कहा
कश्मीर को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस नेता पी चिंदबरम ने कहा कि क्षण भर में आप सोच सकते हैं कि आपने जीत हासिल कर ली है, लेकिन आप गलत हैं और इतिहास आपको गलत साबित करेगा। आने वाली पीढ़ियों को एहसास होगा कि यह हाउस आज कितनी गंभीर गलती कर रहा है।
‘भारत के संविधान को किसी भी कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना फिर से लिखा गया’
इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि भारत के संविधान को किसी भी कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना फिर से लिखा गया। इस तरह के ऐतिहासिक फैसले को इस तरह से मनमाने तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 370 पर टीडीपी ने किया केंद्र सरकार का समर्थन
चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने केंद्र सरकार का समर्थन किया। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का तेलगू देशम पार्टी समर्थन करती है। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों की शांति और सदभाव की कामना करता हूं।'
आरएसएस ने बताया साहसिक कदम
आरएरएस प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो हिस्से में बांटने के फैसले को एक साहसिक कदम बताया। मोहन भागवत ने कहा, ‘हम सरकार के साहसिक कदम का स्वागत करते हैं। यह पूरे देश के साथ ही जम्मू कश्मीर के हित के लिए आवश्यक था। खुद के फायदे और राजनीतिक मतभेद से उठकर सभी को इस कदम का स्वागत और समर्थन करना चाहिए’।
विरोध में जेडीयू, कांग्रेस समेत ये पार्टियां
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को कमजोर करने को लेकर राज्यसभा में बवाल हुआ है। कांग्रेस-पीडीपी-टीएमसी ने इसका विरोध किया है। वहीं, एनडीए में बीजेपी की सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने भी केंद्र के इस फैसले से असहमति जताई है। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा, 'हमारे प्रमुख नीतीश कुमार जेपी नारायण, राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिए हमारी पार्टी आज राज्यसभा में लाए गए विधेयक का समर्थन नहीं कर रही है। हमारी अलग सोच है। हम चाहते हैं कि धारा 370 को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए।'
सपा के रामगोपाल ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि अगर आपने 2 हिस्सों में बांट दिया है जो जम्मू कश्मीर में आरक्षण कैसे लागू होगा।
अनुच्छेद 370 को हटाकर बीजेपी सरकार ने की संविधान की हत्या: गुलाम नबी आजाद
अनुच्छेद 370 को खत्म करने के गृह मंत्री अमित शाह के ऐलान का विपक्षी सांसद गुलाम नबी आजाद ने कड़ा प्रतिरोध किया। उन्होंने कहा कि इसी धारा ने जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ा था, इसे हटाकर बीजेपी सरकार ने संविधान की हत्या कर दी है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने मोदी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया।
गुलाम नबी आाजद ने कहा, 'हम हिंदुस्तान के संविधान की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे, लेकिन आज बीजेपी ने इसी संविधान का मर्डर किया, लोकतंत्र का भी मर्डर किया। जिस आर्टिकल 370 के द्वारा हमने हिंदुस्तान को जम्मू-कश्मीर दिया, आज उसी संविधान की मोदी सरकार ने धज्जियां उड़ा दीं।' उन्होंने कहा, 'सबसे पहले यह बताना चाहता हूं कि एक ऐतिहासिक आर्टिकल 370, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर स्टेट को देश के साथ जोड़ा गया था और 70 साल में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। पैरा-मिलिट्री फोर्सेज के, पुलिस के, लोगों ने कुर्बानियां दी हैं, अपने जीवन का बलिदान दिया है। मुख्य धारा के राजनीतिक दलों ने अपने नेता खो दिए हैं, अपने वर्कर्स खो दिए हैं। 1947 से लाखों सिविलियंस कुर्बान हो गए हैं, जम्मू-कश्मीर को हिंदुस्तान के साथ रखने के लिए। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जनता हर वक्त हिंदुस्तान के साथ खड़ी रही। यह सत्य है कि कुछ लोग भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के खिलाफ थे और हैं।'
इस फैसले से राज्य में शांति आएगी और वहां विकास होगा: केजरीवाल
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर राज्यसभा में सोमवार को पेश हुए प्रस्ताव पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी सहमति जताई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम केंद्र सरकार के इस फैसले समर्थन करते हैं। अब हम आशा करते हैं कि सरकार के इस फैसले से राज्य में शांति आएगी और वहां विकास होगा।
अखंड भारत का सपना पूरा करेंगे पीएम मोदी
वहीं, शिवसेना ने भी जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया है। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सदन के अंदर बिल का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अखंड भारत का सपना पूरा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘आज जम्मू एवं कश्मीर लिया है। कल बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर लेंगे. मुझे विश्वास है कि देश के प्रधानमंत्री अखंड हिंदुस्तान का सपना पूरा करेंगे’।
पप्पू यादव ने किया विरोध
जन अधिकार पार्टी (लेएपर) सुप्रीमो व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का गर्व है, देश का मस्तक है। जम्मू-कश्मीर के नागरिक देश के गौरव हैं। उनकी भावनाओं व नजरिये को सम्मान दिए बिना, उन्हें विश्वास में लिए बगैर भारत का भला नहीं हो सकता। धर्म के नाम पर कश्मीरियों को देश में सियासी लाभ का जरिया बना सनकी राजनीति करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना हुआ पूरा: राम माधव
केंद्र सरकार के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी ने खुशी जाहिर की है। बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि सरकार ने सात दशक पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर के एकीकरण का जो सपना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देखा था और जिसके लिए हजारों लोगों ने शहादत दी, वो हमारे आंखों के सामने सच हो रहा है।
प्रस्ताव के समर्थन में बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह प्रावधान अस्थाई था जिसे हटाना देश की एकता और अखंडता के लिए काफी जरूरी था, ऐसा सिक्किम को भारत में शामिल करने के लिए भी किया गया था।
बसपा ने किया प्रस्ताव का समर्थन
जम्मू कश्मीर आरक्षण और पुनर्गठन बिल को बसपा ने समर्थन दिया है। राज्य सभा में बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करते है। इसके अलावा बजेडी और YSR कांग्रेस ने भी राज्यसभा में इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
इस प्रावधान के सख्त खिलाफ थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में यह प्रावधान किया गया था। इसे लेकर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस प्रावधान के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने धारा 370 हटाने के लिए आंदोलन चलाया था। मुखर्जी का बलिदान जम्मू-कश्मीर में हुई था। जम्मू-कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 का विरोध शुरू किया था। उन्होंने एक देश में दो विधान, एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान- नहीं चलेंगे नहीं चलेंगे जैसे नारे दिए। देश की एकता और अखंडता को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आंदोलन चलाया था।
इसे लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आंदोलन शुरू किया और कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे। जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया। इसके कुछ समय बाद 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई।