कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुरुवार को यहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर उनसे मुलाकात करने पहुंचे। इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनसे मुलाकात की और घोषणा की कि वह अपने राज्य में राजनीतिक संकट की नैतिक जिम्मेदारी लेने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे, इसके बाद पायलट सोनिया गांधी के आवास पर पहुंचे। गहलोत ने यह भी कहा कि वह सीएम बने रहेंगे या नहीं, इस पर फैसला सोनिया गांधी करेंगी।
मुलाकात के दौरान अशोक गहलोत ने राजस्थान में अपने वफादारों के हंगामे के लिए भी सोनिया गांधी से माफी मांगी। गहलोत ने कहा कि, "पिछले दो दिनों में राज्य में जो कुछ भी हुआ उसने सभी को झकझोर कर रख दिया। मैंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बातचीत की। दो दिन पहले जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मैंने उनसे माफी मांगी।"
राज्य में संभावित नेतृत्व परिवर्तन को लेकर गहलोत के वफादारों द्वारा खुले विद्रोह के कुछ दिनों बाद ये बैठकें हो रही हैं। पार्टी की अनुशासन समिति ने गहलोत के तीन वफादारों- राजस्थान के मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर से 10 दिनों के भीतर यह बताने को कहा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। यह एक्शन राजस्थान के पर्यवेक्षकों, मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन द्वारा पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को एक रिपोर्ट में "घोर अनुशासनहीनता" के आरोप के बाद था।
जयपुर में धारीवाल के आवास पर एक समानांतर बैठक में 82 विधायकों ने पार्टी के लिए शर्तें रखीं। गहलोत के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए कांग्रेस प्रमुख को अधिकृत करने वाले प्रस्ताव को पारित करने के लिए बुलाई गई आधिकारिक विधायक दल की बैठक में वे शामिल नहीं हुए। राजस्थान प्रकरण के पार्टी के सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करने के साथ, कांग्रेस अध्यक्ष भी संकट को हल करने के लिए देश भर के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ चर्चा कर रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में नामांकन करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। उससे पहले गुरुवार को इस रेस में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) से अपने लिए नामांकन पत्र लिया और कहा कि 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे।