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"राहुल की वजह से खराब हुए गांधी-नेहरू और बच्चन परिवार के रिश्ते, अमिताभ ने फीस भरने से की थी आनाकानी": किताब में दावा

लंबे समय से ये सवाल उठते रहे हैं कि गांधी-नेहरू और बच्चन परिवार के रिश्तों में खटास क्यों आई। लेकिन, हाल...

लंबे समय से ये सवाल उठते रहे हैं कि गांधी-नेहरू और बच्चन परिवार के रिश्तों में खटास क्यों आई। लेकिन, हाल ही में प्रकाशित एक पुस्तक में खुलासा किया गया है कि एक छोटी सी घटना ने दोनों परिवारों के रिश्तों में तल्खी ला दी थी। एनबीटी के मुताबिक वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सांसद संतोष भारतीय की नई किताब “वी पी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं” में दावा किया गया है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष वायनाड से सांसद राहुल गांधी की पढ़ाई के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अमिताभ बच्चन से शुल्क का इंतजाम करने को कहा था, लेकिन उन्होंने इसको लेकर आनाकानी की थी।

किताब में लेखक भारतीय के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल की पढ़ाई को लेकर चिंतित थीं। राहुल उन दिनों लंदन में पढ़ाई कर रहे थे और उन्होंने अपनी इस चिंता से अमिताभ बच्चन को अवगत कराया था। सोनिया गांधी की बातों को सुनने के बाद अमिताभ बच्चन ने कहा था, “पैसे तो ललित सूरी और सतीश शर्मा ने गड़बड़ कर दिए... कुछ है ही नहीं लेकिन मैं कुछ करूंगा।“

दरअसल, ललित सूरी और सतीश शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और उन्हें राजीव गांधी का बेहद करीबी माना जाता था। किताब में लेखक और पत्रकार संतोष भारतीय ने दावा किया है कि जब राजीव गांधी जीवित थे तब सूरी, शर्मा और बच्चन ने मिलकर चावल का व्यापार आरंभ किया था। एनबीटी के मुताबिक अपनी किताब में वो लिखते हैं, “यहां से बासमती चावल जाता था वहां पर वह ‘जादू’ से परमल में बदल जाता था। चूंकि भारत सरकार ने इसकी अनुमति दी थी तो स्वाभाविक था कि कुछ और लोग भी इसमें भागीदार थे लेकिन उनके नाम कभी सामने नहीं आए।“

आगे लेखक संतोष भारतीय ने किताब में दावा किया है कि अमिताभ बच्चन ने सोनिया गांधी की चिंता के मद्देनजर दो दिनों बाद उनके पास एक हजार डॉलर (वर्तमान में लगभग 74,500 रुपये) का चेक भिजवाया था, लेकिन सोनिया ने इसे वापस लौटा दिया था। किताब ने दावा किया है कि 'सोनिया गांधी इस बात को कभी भूल नहीं पाईं और उन्होंने इसे अपना अपमान मान और दोनों परिवारों के रिश्तों में खटास आ गई, जो अब तक है।

इस किताब में यह दावा भी किया गया कि अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी के दोस्त थे इसलिए जो उद्योगपति प्रधानमंत्री से संपर्क नहीं कर पा रहे थे, उन्होंने अमिताभ बच्चन से संपर्क बना लिया था। ये किताब वीपी सिंह, पीएम चंद्रशेखर और सोनिया गांधी को लेकर विस्तार से बातों को रखती है।

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