प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्प अपर्ति कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य गणमान्य लोगों ने भी सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उनकी जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
सरदार पटेल की जयंती को 31 अक्टूबर को 2014 से ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मोदी सुबह राज्य के नर्मदा जिले में एकता नगर के पास पटेल को समर्पित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा पर पहुंचे और उन्होंने भारत के लौह पुरुष को श्रद्धांजलि देने के लिए फूल चढ़ाए।
इसके बाद वह पास के एक कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए, जहां उनका एकता दिवस शपथ दिलाने और राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का निरीक्षण करने का कार्यक्रम है। इस परेड में 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल होंगी, जिनमें नौ राज्यों, एक केन्द्र शासित प्रदेश की पुलिस, चार केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल, राष्ट्रीय कैडेट कोर और एक बैंड शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें मेरा शत-शत नमन। राष्ट्र की एकता और संप्रभुता की रक्षा उनके जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकता थी। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।’’
राष्ट्रीय राजधानी के पटेल चौक पर देश के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री की प्रतिमा पर फूल चढ़ा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। गुजरात के नडियाड में 1875 में जन्मे पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नायक रहे।
असाधारण नेतृत्व और राष्ट्रीय एकीकरण की अडिग प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध पटेल को ‘‘भारत के लौह पुरुष’’ के रूप में याद किया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस विभिन्न रियासतों के भारत में विलय करने में पटेल के प्रयासों की याद दिलाता है और भारत के लोगों में एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंदी संजय कुमार तथा भारतीय जनता पार्टी की सांसद बांसुरी स्वराज ने भी यहां पटेल चौक पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री बुधवार से गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं। पहले दिन उन्होंने 284 करोड़ रुपये की परियोजनाओं और नए पर्यटन केंद्रों का उद्घाटन और शिलान्यास किया था। बुधवार देर शाम उन्होंने भारतीय सिविल सेवा के 16 और भूटान सिविल सेवाओं के तीन प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया।