बसपा सुप्रीमो मायावती ने एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला लेने के बाद मायावती ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि फैसले ने दलितों की कड़वी जिंदगी की असलियत उजागर कर दी है और दोनों दलों के ‘दलित प्रेम' की पोल खुल गई है।
मायावती ने कोर्ट के फैसले पर ट्वीट कर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून 1989 के प्रावधानों को फिर बहाल करते हुए दलित समाज के जीवन की कड़वी वास्तविकताओं और संघर्षों के संबंध में जो तथ्य सत्यापित किए हैं, वे खासकर सत्ताधरी भाजपा और कांग्रेस के 'दलित प्रेम' की पोल खोलते हैं।' इसके साथ ही मायावती ने दलित एवं जनजाति समुदायों के अधिकारों की रक्षा के विषय पर देश और समाज को जागरुक बनाने की जरूरत पर भी बल दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने लिए अपने पूर्व निर्देश वापस
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को 20 मार्च, 2018 के फैसले में अपने निर्देश को वापस ले लिया था, जिसमें एससी-एसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को लगभग कमजोर कर दिया गया था।अब इस एक्ट के तहत बिना जांच के एफआईआर दर्ज की जा सकेगी। अब सरकारी कर्मचारी और सामान्य नागरिक को गिरफ्तार करने से पहले अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इससे पहले शिकायत दर्ज करने के बाद जांच करने पर ही एफआईआर दर्ज करने के कोर्ट ने आदेश दिए थे। अब कोर्ट ने अपना यह बदल दिया है, अब पहले जांच जरूरी नहीं है।
'शिक्षा की बदहाली आखिर क्यों'
एक अन्य ट्वीट में, मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की निम्न रैंकिंग के लिए भी भाजपा और कांग्रेस की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने नीति आयोग की एक रिपोर्ट के हवाले से ट्वीट किया, 'नीति आयोग की स्कूली शिक्षा संबंधी रैंकिग के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड देश में सबसे निचले पायदान पर हैं।' मायावती ने पूछा, 'देश और प्रदेश में सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली पार्टियां खासकर कांग्रेस तथा भाजपा आज गांधी जयंती के दिन क्या जनता को जवाब दे पाएंगी कि ऐसी शर्मनाक जनबदहाली क्यों?'