कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आज मंत्रीपद से इस्तीफा देकर पार्टी के लिए समय देने की कामराज योजना से मिली सीख को भुला दिया गया है और इसने संगठन को खासा नुकसान हुआ है। योजना के तहत कभी वरिष्ठ मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देकर पार्टी की सेवा करने के लिए कहा गया था।
असल में वर्ष 1963 में कांग्रेस नेता के. कामराज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक प्रस्ताव दिया था जिसके मुताबिक, मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा देकर पार्टी को मजबूत करने के लिए काम शुरू किया था।
यह पूछने पर कि क्यों कांग्रेस देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए विचार पैदा करने में सक्षम नहीं है। इस पर चिदंबरम ने कहा कि आपको लगता है कि कांग्रेस पार्टी समय के साथ आगे नहीं बढ़ पायी है। मैं हमारी नाकामी को जरूर स्वीकार करता हूं।
ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस द्वारा आयोजित परिचर्चा ‘क्या भारत को फिर से परिभाषित किया जा रहा है’ में यूपीए सरकार में वित्त मंत्री चिदम्बरम ने यह विचार व्यक्त किए। इस परिचर्चा में कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, अभिषेक सिंघवी, सलमान खुर्शीद भी शामिल हुये थे।
'पार्टी की मजबूती की दिशा में नहीं किया गया है काम'
उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में कांग्रेस लगातार सरकार के खिलाफ बोलती रही है और यह वही पार्टी है और इसके लिए उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। हम नागरिक के तौर पर बेहतर कर रहे हैं लेकिन आप महसूस करते हैं कि हम वैसा नहीं कर रहे जो हमें करना चाहिए, जिसे मैं स्वीकार करता हूं।
मेरा मानना है कि पिछले कुछ सालों में हमें कामराज योजना पर काम करना चाहिए जिसे हमने भुला दिया है। इससे संगठन पर असर पड़ा है। पार्टी की मजबूती की दिशा में कोई काम नहीं किया गया है और इसका आगामी चुनावों में भी असर देखने को मिलेगा।
1963 में पार्टी की मजबूती के लिए जब कामराज योजना पर काम किया गया था तब छह केंद्रीय मंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम और मोरारजी देसाई, मुख्यमंत्री कामराज, बीजू पटनायक और एसके पाटिल ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।