कांग्रेस में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के कई फैसलों और संगठन की स्थिति को लेकर कई दिग्गज नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं। वहीं इन नेताओं को पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं से पलटवार का भी सामना करना पड़ रहा है। इस खींचतान के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का दर्द छलका है। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी बातों से आलोचकों को संकेत देने की कोशिश की है। गांधी ने मंगलवार को कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक वर्चुअल प्रोग्राम में संवाद के दौरान कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं। इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी। मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है।
राहुल गांधी ने कहा कि मैं एक दशक से कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का पक्षधर रहा हूं। मैंने युवा और छात्र संगठन में चुनाव को बढ़ावा दिया है। मैं पहला व्यक्ति हूं, जिसने पार्टी में लोकतांत्रिक चुनावों को महत्वपूर्ण माना है। हमारे लिए कांग्रेस का मतलब आजादी के लिए लड़ने वाली संस्था, जिसने भारत को संविधान दिया है। हमारे लिए लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं बरकरार रखना महत्वपूर्ण है।
बता दें कि कई दिग्गज नेता पार्टी के रवैये से नाखुश हैं और अपनी नाराजगी खुले तौर पर जाहिर कर रहे हैं।
पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में जी-23 नेताओं में से आठ नेताओं ने जम्मू में बैठक साफ-साफ कहा है कि वो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन पार्टी के मौजूदा हालात उन्हें मंजूर नहीं हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में पार्टी की आईएसएफ के साथ गठबंधन को लेकर भी तकरार देखने को मिल रही है। कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के बीच गठबंधन पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सवाल खड़े किए थे। उन्होंने गठबंधन को पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ बताया था जिसके बाद पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि आनंद शर्मा किसकी तरफ से बात कर रहे हैं? हम जानना चाहते हैं कि शर्मा के बिग बॉस कौन हैं। जिसे वो खुश करना चाहते हैं। जिसके बाद आनंद शर्मा ने भी पलटवार किया है। आनंद शर्मा ने कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा वह सब संगठन के भले के लिए कहा हूं।
उधर, पार्टी के रवैये पर सवाल उठाने वाले नेताओं को भारी विरोध भी झेलना पड़ रहा है। मंगलवार को गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, आजाद के विरोध में उनके पुतले भी जलाए गए हैं। ये पूरा वाकया पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद द्वारा पीएम मोदी की तारीफ किए जाने के बाद हुआ है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें काफी आदर दिया है, मगर आज जब उन्हें पार्टी को समर्थन देना चाहिए तो वो भाजपा के साथ दोस्ती निभा रहे हैं। वो यहां डीडीसी चुनाव में कैंपेनिंगे के लिए नहीं आए, मगर यहां वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी रविवार को कहा था कि जो लोग कांग्रेस संगठन में सुधार का विरोध कर रहे हैं, वह न केवल पार्टी बल्कि देश का अहित कर रहे हैं। सुनील जाखड़ ने कहा कि राज्यसभा के आरामदायक वातावरण से दूर जमीन पर उतरकर पार्टी के लिए संघर्ष किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अवसरवाद की राजनीति कर रहे हैं और वह ऐसे समय कर रहे हैं जब पांच राज्यों के चुनाव हो रहे हैं।
दरअसल कांग्रेस में हालिया विवाद तब पैदा हुआ जब , कांग्रेस के 23 नाराज नेताओं ने बीते शनिवार को जम्मू में शांति सम्मेलन किया था। जिसमें कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद समेत कई बड़े नेता मौजूद रहें। सिब्बल ने कांग्रेस को आइना दिखाते हुए कहा था कि ये सच्चाई है कि कांग्रेस पार्टी कमजोर होती हुई दिखाई दे रही है। उसके बाद बीते दिनों पीएम मोदी की आजाद ने तारीफ की। पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पीएम मोदी जमीन से जुड़े नेता हैं और लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाने के बाद भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। बहरहाल इन दिग्गज नेताओं के बयानबाजी का पार्टी नेतृत्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा ये आने वाला वक्त बताएगा लेकिन वरिष्ठ नेताओं में तनातनी साफ देखा जा रहा है।