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कमलनाथ बोले, मध्य प्रदेश में एक साथ आएं समान विचारधारा वाली पार्टियां

इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए...
कमलनाथ बोले, मध्य प्रदेश में एक साथ आएं समान विचारधारा वाली पार्टियां

इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन कर सकती है।  मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि पार्टी की कोशिश होगी कि इस बार विधानसभा चुनाव में  समान विचारधारा वाली पार्टियां एक साथ आएं और वोटों का बंटवारा न  हो।  

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विजय रथ पर सवार भाजपा को रोकने के लिए विपक्ष एकजुट होने की कवायद में जुटा है।  विपक्ष को इसमें जीत का मंत्र भी मिलता दिख रहा है।  उपचुनावों में महागठबंधन की जीत से कांग्रेस उत्साहित भी है।   

कांग्रेस मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है।  यही वजह है कि कांग्रेस मायावती की पार्टी बसपा के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरने के लिए प्लान बना रही है। कांग्रेस प्रवक्ता  माणक अग्रवाल का कहना है विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा विरोधी दलों को एकसाथ लाने की कोशिश हो रही है। बसपा या किसी अन्य दल से   तालमेल या गठबंधन में अभी समय है।  

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास बसपा के साथ जाने के दो विकल्प हैं।  पहला ये है कि भाजपा के खिलाफ चुनाव से पूर्व बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़े।  दूसरा विकल्प भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए उसके उम्मीदवारों के खिलाफ उसी जाति के प्रत्याशी को बसपा से खड़ा किया जाए, ताकि भाजपा के वोटों को बांटकर जीत हासिल की जा सके। बसपा का राज्य में ग्वालियर-चंबल और रीवा क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है।  यह इलाका उत्तरप्रदेश से सटा हुआ है।  इन इलाकों की विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को हराने को लेकर कांग्रेस चिंतित है. कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण इस क्षेत्र की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों को नुकसान झेलना पड़ता है। मध्यप्रदेश में अभी बसपा के चार विधायक है। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 22 ऐसी सीटें थी, जहां बसपा के चलते कांग्रेस को नुकसान हुआ था।  इन सीटों में बसपा दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी। ।  

पिछले साल मध्य प्रदेश के भिंड और सतना जिलों की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी के नहीं खड़े होने का फायदा कांग्रेस का मिला था, जिसके चलते भाजपा को मात खानी पड़ी थी। इस साल   राज्यसभा चुनाव में भी बसपा ने कांग्रेस  का  समर्थन किया था।   

बसपा का दबदबा

पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है।  मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है, जिन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की वहां 0.35 फीसदी से लेकर करीब 11 फीसदी वोटों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों को शिकस्त दी है। 

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