वैसे भी शीला दीक्षित का पंजाब से पुराना नाता रहा है। उनका जन्मस्थान पंजाब रहा है। हालांकि पंजाब कभी उनकी कर्मस्थली नहीं रही है। ऐसे में यह काम उनके लिए चुनौती हो सकता है। कांग्रेस पिछले 10 साल से पंजाब की सत्ता से बाहर है और इस बार उसे वहां सत्ता हासिल होने की उम्मीद दिख रही है। हालांकि वहां आम आदमी पार्टी तगड़ी चुनौती पेश कर रही है।
वैसे अगर शीला दीक्षित को यह जिम्मेदारी दे दी गई तो बेहद दिलचस्प स्थिति बनेगी क्योंकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में उन्हें ही बेदखल कर सत्ता हथियाई थी। ऐसे में एक बार फिर अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित का चुनावों में आमना सामना हो सकता है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पहले वरिष्ठ नेता कमलनाथ को पंजाब का प्रभारी बनाया था मगर उनके प्रभार संभालने से भी पहले 1984 के सिख दंगों का भूत उनके सामने आ गया। हालांकि उन दंगों में कमलनाथ की किसी तरह की भूमिका की पुष्टि किसी अदालत या जांच में नहीं हुई मगर सिख जनमानस में बनी छवि उनके आड़े आ गई और आम आदमी पार्टी ने भी इसे जमकर हवा दी। ऐसे में बताया जाता है कि कमलनाथ ने इस जिम्मेदारी से छुटकारा पाने में ही अपना और पार्टी का भला देखा और अंततः बुधवार को उन्होंने अपने पांव पीछे खींच लिए। सोनिया ने भी तुरंत उनकी बात मानकर उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    