सीएए और एनआरसी के खिलाफ कांग्रेस के सीनियर नेताओं का दिल्ली के राजघाट पर कांग्रेस का धरना दिया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, आनंद शर्मा समेत कई बड़े नेता भी मौजूद रहे।
पीएम नहीं कर सकते संविधान पर आक्रमणः राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'पूरा देश इस बात को समझ रहा है। भारत माता की आवाज पीएम मोदी को देश पर आक्रमण करने नहीं देगी, देश को बांटने नहीं देगी। भारत का संविधान हर धर्म के लोगों ने बनाया था। सबकी आवाज इस संविधान में है और आप इस संविधान पर आक्रमण नहीं कर सकते, पूरा देश आपको रोकेगा।' उन्होंने कहा कि जनता की आवाज ने अंग्रेजों को प्यार से शांति से भगाया। इसी आवाज ने देश की अर्थव्यवस्था को बनाया। उस आवाज के बिना देश नहीं रहेगा।
संविधान की रक्षा का संकल्प लेः प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने कहा, आंदोलन में शहीद होने वाले बच्चों के नाम आज हम संकल्प करें कि हम इस संविधान की रक्षा करेंगे, इस संविधान को नष्ट नहीं होने देंगे।' इसके बाद उन्होंने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।
कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि आज ऐसे लोग सत्ता में हैं जो आजादी की लड़ाई में कहीं भी नहीं थे। आज राष्ट्र, लोकतंत्र और संविधान खतरे में है और युवाओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। इसके बाद उन्होंने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत की आत्मा हमेशा से बुलंद है और रहेगी। उन्होंने कहा कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता।
'आजादी के समय नागरिकता पूछने वाले गायब थे'
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद पूर्व स्पीकर मीरा कुमार ने भी संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। उन्होंने कहा कि इस देश को आजाद कराने के लिए गरीबों और दलितों ने कुर्बानी दी थी। लेकिन उस समय किसी ने उनसे नागरिकता नहीं पूछी थी, आज ऐसा क्या हो गया है कि उनसे उनकी नागरिकता पूछी जा रही है। आज जो नागरिकता पूछ रहे हैं वो कुर्बानी देने के समय नदारद थे। उन्होंने कहा कि संविधान को गांधी और नेहरू ने बनाया है। कांग्रेस की आत्मा ने बनाया है, हम इस पर आंच नहीं आने देंगे।
कांग्रेस की मांग है कि संविधान और इसके तहत लोगों को मिले अधिकारों की रक्षा की जाए। कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों की तुलना भारत छोड़ो आंदोलन से की है।