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राज्यसभा चुनाव में यूपी की दसवीं सीट पर उलझा था गणित, अब मामला साफ

देश के सात राज्यों की 26 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग खत्म हो गई है। इस बीच उत्तर प्रदेश का मुकाबला बेहद...
राज्यसभा चुनाव में यूपी की दसवीं सीट पर उलझा था गणित, अब मामला साफ

देश के सात राज्यों की 26 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग खत्म हो गई है। इस बीच उत्तर प्रदेश का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में भाजपा के 8 और सपा के एक उम्मीदवार की जीत पक्की मानी जा रही है। लेकिन दसवीं सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार अनिल अग्रवाल और बसपा के भीमराव अंबेडकर के बीच मुकाबले का गणित उलझकर रह गया है।

उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं। मुख्तार अंसारी और हरिओम यादव के जेल में होने से अदालत ने वोटिंग की अनुमति नहीं दी है। इसके कारण 401 विधायक ही वोट कर सकते हैं। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए किसी भी पार्टी को 37 विधायक की आवश्यकता है। भाजपा गठबंधन के पास 324 सीटें हैं। 8 सदस्यों को राज्यसभा पहुंचाने के बाद 28 विधायक शेष हैं। इस बीच नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन ने भाजपा को वोट दिया है। वहीं निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्रा और बसपा विधायक अनिल सिंह ने भी भाजपा के पक्ष में वोट डाला। तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा के साथ हैं। इस तरह भाजपा को जरूरी 37 में से 33 विधायक मिल गए हैं। उन्हें अब जीत के लिए अब 4 और विधायकों की जरुरत है।

इधर बहुजन समाज पार्टी ने भीमराव अंबेडकर को मैदान में उतारा। उनके पास खुद के 19 विधायक हैं। साथ ही बसपा को सपा का समर्थन है। सपा के 47 विधायक हैं। जया बच्चन को राज्यसभा भेजने के बाद सपा के पास 10 विधायक बचे हैं। लेकिन इस बीच नरेश अग्रवाल के विधायक बेटे नितिन अग्रवाल के भाजपा में चले जाने से एक वोट का नुकसान हुआ है। सपा के पास अब 9 विधायक हैं। इसके अलावा बसपा के मुख्तार अंसारी और सपा के हरिओम यादव जेल में हैं। हाईकोर्ट ने उनके राज्यसभा चुनाव में वोट डालने पर बैन लगा दिया है। बसपा विधायक अनिल सिंह ने भी भाजपा के फेवर में वोटिंग कर दी है। ऐसे में अंबेडकर के पक्ष में बीएसपी के 17, सपा के 8, कांग्रेस के 7, राष्ट्रीय लोकदल के 1 वोट के सहारा है। यानी 33 विधायक हैं। जीत के लिए चार और विधायकों की आवश्यकता है।

अब ऐसी परिस्थिति में क्रॉस वोटों के सहारे राज्यसभा पहुंचने का रास्ता अख्तियार किया जा सकता है। हालांकि बसपा, कांग्रेस, सपा और सत्तारुढ़ भाजपा के नेता क्रॉस वोटिंग को रोकने पूरी ताकत लगाए हुए हैं। बावजूद अब तक तक भाजपा को क्रॉस वोटिंग का फायदा मिल चुका है। यदि क्रॉस वोटिंग से भी कोई नतीजा नहीं निकलेगा तो दूसरी वरीयता के आधार पर जीत का निरणय होगा। इसमें सबसे ज्यादा वोट पाने वाले प्रत्याशी को राज्यसभा सदस्य चुन लिया जाएगा।

 

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