बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस पर निशाना साधा और उन पर बसपा संस्थापक कांशीराम की विरासत का सम्मान करने का दिखावा करते हुए उनके प्रति "घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण’’ रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करके आरोप लगाया कि आदिवासी व अन्य पिछड़े बहुजनों को शोषित से शासक वर्ग बनाने के बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के ‘‘आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट को जिन्दा करके उसे नयी गति प्रदान करने वाले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संस्थापक मान्यवर कांशीराम के प्रति विरोधी पार्टियों खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) व कांग्रेस का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण रहा है, जो कि सर्वविदित है।’’
उन्होंने लिखा है, ''इसीलिए आगामी नौ अक्टूबर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आदि करने का सपा प्रमुख की घोषणा घोर छलावा और लोगों को स्पष्टतः इनके मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करने वाला ज्यादा लगता है। सपा ने ना केवल मान्यवर श्री कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दगा करके उनके मूवमेंट को यूपी में कमजोर करने की लगातार कोशिशें की हैं, बल्कि बीएसपी सरकार द्वारा दिनांक 17 अप्रैल सन् 2008 को अलीगढ़ मंडल के अन्तर्गत कासगंज को जिला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाए गए नए जिले के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया।''
मायावती ने लिखा है, ''इसके अलावा, बहुजनों को शासक वर्ग बनाने के क्रम में यूपी में बीएसपी की सरकार बनाने के उनके अनवरत प्रयास जैसे बेमिसाल योगदान के लिए उनके आदर-सम्मान में मान्यवर श्री कांशीराम जी के नाम से अन्य और भी जो कई विश्वविद्यालय, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थायें आदि बनाए गए उनमें से भी अधिकतर का नाम सपा सरकार द्वारा बदल दिया जाना इनकी घोर दलित विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा नहीं तो और क्या है?''
उन्होंने लिखा है, ''इतना ही नहीं बल्कि उनके देहांत होने पर पूरा देश और खासकर उत्तर प्रदेश शोकाकुल था, फिर भी सपा सरकार ने यूपी में एक दिन का भी राजकीय शोक घोषित नहीं किया। इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की तब केंद्र में रही सरकार ने भी उनके देहांत पर एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था, लेकिन फिर भी समय-समय पर संकीर्ण राजनीति व वोटों के स्वार्थ की खातिर सपा और कांग्रेस आदि द्वारा मान्यवर श्री कांशीराम जी को स्मरण करना विशुद्ध दिखावा व छलावा का प्रयास किया जाता रहा है। इस प्रकार की गलत जातिवादी और संकीर्ण सोच वाली सपा, कांग्रेस आदि पार्टियों से लोग जरूर सजग व सावधान रहें।''