उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद) के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि महाकुंभ जहां एक ओर अनेकता में एकता को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर समता और समरसता का संदेश भी दे रहा है, जिससे ''एक भारत, श्रेष्ठ भारत'' की अवधारणा साकार हो रही है।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को विधानसभा में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, ''मेरी सरकार को इस वर्ष दिव्य एवं भव्य महाकुंभ के आयोजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। महाकुंभ-2025 में स्वच्छता, सुरक्षा तथा सुव्यवस्था के नये मानक गढ़े हैं। महाकुंभ में आस्था एवं आधुनिकता का अदभुत संगम देखने को मिल रहा है।''
समाजवादी पार्टी के सदस्यों के विरोध और नारेबाजी के बीच राज्यपाल ने अपना 40 पृष्ठों का अभिभाषण मात्र आठ मिनट 35 सेकंड में समाप्त कर दिया। सपा के सदस्य हाथों में तख्तियां लिए विधानसभा अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे। तख्तियों पर सरकार विरोधी नारे नारे लिखे थे।
राज्यपाल ने अभिभाषण मे कहा, ''यह आयोजन जहां एक ओर अनेकता में एकता को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर समता व समरसता का संदेश भी दे रहा है, जिससे एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अवधारणा साकार हो रही है। अब तक 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।''
महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भगदड़ का जिक्र करते हुए उन्होंने दुख प्रकट किया। पटेल ने कहा, ''मौनी अमावस्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से हम सभी दुखी हैं। इसमें कुछ श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गये, जिसमें कुछ श्रद्धालुओं की दुखद मृत्यु भी हो गयी।''
उन्होंने दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ''असमय काल कवलित हुए ऐसे पुण्य आत्माओं के प्रति मेरी विनम्र श्रद्धांजलि तथा उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करती हूं।''
अधिकारियों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी और 60 से अधिक घायल हो गये थे।
राज्यपाल ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि महाकुंभ प्रयागराज-2025 के अवसर पर 22 जनवरी, 2025 को पावन त्रिवेणी तट पर मंत्रिपरिषद की ऐतिहासिक बैठक भी आयोजित की गयी, जिसमें प्रदेश हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान समाजवादी पार्टी सदस्यों का विरोध जारी रहा। अभिभाषण समाप्त होने के बाद भी उनकी नारेबाजी के बीच अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन की कार्यवाही 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर बाद फिर कार्यवाही शुरू होने पर विधायी कार्य निपटाया गया और बैठक बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
इसके पहले राज्यपाल को विधान भवन में प्रवेश करते पर ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। राज्यपाल को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधान परिषद के सभापति मानवेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना सदन में लेकर आए।
इससे पहले, सुबह सपा सदस्यों ने विधानसभा परिसर में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास धरना दिया। हाथों में बैनर और तख्तियां लिये सपा सदस्य सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे।
सपा सदस्यों सुधाकर सिंह तथा एचएन सिंह पटेल ने बताया कि पार्टी विधायकों ने संभल और कुंभ समेत तमाम मुद्दों पर सरकार की विफलताओं को लेकर धरना दिया है।
विधायकों के हाथों में जो तख्तियां थीं, उन पर ‘बिजली पानी दे न सके जो, वह सरकार निकम्मी है! जो सरकार निकम्मी है, वह सरकार बदलनी है’’ लिखा था।
सपा के वरिष्ठ सदस्य अमिताभ त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कुंभ में मृतकों एवं स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के फर्जी आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार कुंभ मामले पर सदन में चर्चा कराए।
सपा के रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि बुधवार को नियम-56 (कार्यस्थगन) के तहत, महाकुंभ के मामले पर सरकार से चार घंटे चर्चा कराने की मांग की जाएगी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भाजपा सरकार को जन-विरोधी, किसान-विरोधी करार देते हुए कहा, ''यह सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है।''