भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल अपना दल (एस) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने अपने विभाग में पदोन्नति में कथित अनियमितता के मामले को लेकर अपनी ‘राजनीतिक हत्या’ की साजिश का आरोप लगाया है और कहा है कि प्रधानमंत्री का जिस दिन आदेश होगा वह तत्काल मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
प्राविधिक शिक्षा विभाग में 100 से अधिक व्याख्याताओं को नियम के खिलाफ पदोन्नत करने से आरक्षित वर्ग के वंचित रह जाने के आरोपों के बीच रविवार देर रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर आशीष पटेल ने यह प्रतिक्रिया दी।
सोमवार से शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल सत्र के बीच राजग के घटक दल के कोटे से आने वाले मंत्री के इस कदम से राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है।
अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल ने रविवार देर रात ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘मीडिया और सोशल मीडिया पर मेरी ‘राजनीतिक हत्या’ की साजिश के तहत तथ्यहीन और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरे मंत्रित्व काल में प्राविधिक शिक्षा विभाग में वंचित वर्ग से आने वाले कर्मियों के हितों की रक्षा को लेकर उठाए गए कदमों का पूरे उत्तर प्रदेश को पता है।’’
पटेल ने सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘सबको पता है कि इसके पीछे कौन है। आगे और भी ऐसे आरोप लगेंगे। ऐसे मिथ्या आरोपों से डरने वाले कोई और होंगे। अपना दल (एस) वंचितों के हक की लड़ाई से पीछे नहीं हटने वाला।’’
अपने अगले पोस्ट में प्राविधिक शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘एक बात और, सामाजिक न्याय की जंग के लिए अपना दल माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी के सानिध्य में 2014 में राजग का अंग बना था। प्रधानमंत्री का जिस दिन आदेश होगा, मैं तत्काल मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।’’
अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन और अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पल्लवी पटेल ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं।
आरोप है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विभागाध्यक्ष की सीधी भर्ती करने की जगह, कॉलेजों में कार्यरत व्याख्याताओं को पदोन्नत कर विभागाध्यक्ष बनाया गया है। आरोपों में कहा गया है कि अगर सीधी भर्ती से पद भरे जाते तो पिछड़े और दलित वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलता, लेकिन 177 व्याख्याताओं को नियम के खिलाफ पदोन्नत करने से आरक्षित वर्ग वंचित रह गया।