कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को दिल्ली में सीपीआई कार्यालय में सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी को श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश, अजय माकन, राजीव शुक्ला और कई सीपीआई (एम) नेता और कार्यकर्ता येचुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली स्थित सीपीआई (एम) कार्यालय पहुंचे।
उनका पार्थिव शरीर वसंत कुंज स्थित उनके आवास से पार्टी कार्यालय ले जाया गया। बता दें कि येचुरी का 12 सितंबर को एम्स अस्पताल में श्वसन तंत्र में संक्रमण के कारण निधन हो गया था।
एएनआई से बात करते हुए केरल के मंत्री पी राजीव ने कहा कि उनके निधन से राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है।
एएनआई से बात करते हुए राजीव ने कहा, "सीताराम येचुरी के दुखद निधन ने राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है। मुझे उनके साथ उपनेता के तौर पर काम करने का मौका मिला था, जब वह राज्यसभा में सीपीआई (एम) के नेता थे। वह पार्टी में सबसे स्वीकार्य व्यक्ति थे और हर मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए हर कोई उनके पास आता था। यह पार्टी, वामपंथ और देश के लिए एक बड़ी क्षति है।"
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके आवास पर पुष्पांजलि अर्पित की। येचुरी को याद करते हुए नड्डा ने कहा कि उन्होंने उन लोगों के साथ भी संबंध बनाए रखे जिनके विचार उनसे अलग थे।
नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "पूर्व राज्यसभा सांसद और सीपीआई (एम) के महासचिव स्वर्गीय श्री सीताराम येचुरी जी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। हम दोनों की विचारधाराएँ अलग-अलग थीं। वह विचारों के प्रति अधिक झुकाव रखने वाले व्यक्ति थे, लेकिन साथ ही, उन्होंने उन लोगों के साथ संबंध बनाए रखे जिनके विचार उनके अपने विचारों से भिन्न थे। वह असहमत होने पर सहमत होने में विश्वास करते थे और अक्सर कहा करते थे कि यह लोकतंत्र की खूबसूरती है।"
उन्होंने कहा, "ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे तथा उनके परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।"
दिवंगत माकपा नेता से जुड़ी अपनी यादों को ताजा करते हुए नड्डा ने कहा कि वह अपने विचारों पर अडिग थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन उन विचारों के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया, लेकिन एक सामाजिक व्यक्ति होने के नाते हम उनके व्यक्तिगत संबंधों और मानवतावादी दृष्टिकोण को कभी नहीं भूल सकते।
नड्डा ने कहा, "मेरे मित्र सीताराम येचुरी अब हमारे बीच नहीं रहे। सीताराम येचुरी अपनी विचारधारा का प्रचार करने के लिए जेएनयू से हिमाचल आते थे और मैं उन्हें तब से जानता हूं। हम दोनों अलग-अलग विचारधाराओं के थे। वह अपने विचारों के बहुत पक्के थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन उन विचारों के प्रचार में लगा दिया, लेकिन एक सामाजिक व्यक्ति होने के नाते हम उनके व्यक्तिगत रिश्ते, मानवतावादी दृष्टिकोण को कभी नहीं भूल सकते। इसलिए मैं कह सकता हूं कि वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो विचारों के प्रति अधिक झुकाव रखते थे, लेकिन साथ ही उन्होंने समाज के उन लोगों के साथ भी संबंध बनाए रखे जो उनकी विचारधारा से अलग थे।"
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहां, "उनका मानना था कि हम असहमत होने पर भी सहमत होते हैं और वह कहते थे कि यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। भगवान उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार के सभी सदस्यों को यह दुख सहन करने की शक्ति दें।"