जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण मिलने पर कांग्रेस के 'ग्रुप-23' और गांधी परिवार के समर्थकों के बीच की अंतर्कलह फिर से खुलकर सामने आ गयी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने आजाद को पद्म भूषण मिलने पर बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा कि गुलाम नबी आजाद जी को जन सेवा और संसदीय लोकतंत्र में उनके आजीवन समृद्ध योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण मिलने की हार्दिक बधाई।
वहीं, आज सुबह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने पर अपनी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह विडंबना है कि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है, जबकि देश उनके योगदान को पहचानता और सराहता है।
यही नहीं, ग्रुप-23 के एक और नेता राज बब्बर ने अपने पोस्ट में कहा कि गुलाम नबी आजाद साहब को बधाई! आप एक बड़े भाई हैं और आपका त्रुटिहीन सार्वजनिक जीवन और गांधीवादी आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता हमेशा एक प्रेरणा रही है।
हालांकि गुलाम नबी आजाद को मिलते बधाइयों के बीच पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उनपर कटाक्ष किया। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य द्वारा पद्म पुरस्कार से इनकार करने के बाद रमेश ने ट्विटर पर गुलाम नबी पर कटाक्ष किया कि, "सही काम! वह गुलाम नहीं आजाद रहना चाहते हैं।"
यही नहीं, उन्होंने एक किताब का अंश साझा किया, जिसमें पूर्व नौकरशाह पीएन हाक्सर के पुरस्कार से इनकार करने का जिक्र है। उन्होंने इसके साथ लिखा है कि जनवरी 1973 में, हमारे देश के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह को बताया गया था कि आपको पद्म विभूषण दिया जा रहा है, तब हाक्सर ने जो प्रतिक्रिया दी थीं, वो आज भी अनुकरणीय है।
गौरतलब हो कि गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा सभी कांग्रेस "ग्रुप-23" का हिस्सा हैं। ग्रुप-23 उन नेताओं को कहा जाता है जिसने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी।