दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के बजट को गृह मंत्रालय द्वारा मंजूरी दिए जाने के कुछ घंटे बाद विज्ञापन के लिए आवंटन पर उठाई गई आपत्ति को लेकर केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऊपर से नीचे तक ‘‘अशिक्षित’’ लोग बैठे हैं।
हालांकि, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना "बड़ा भाई" बताते हुए कहा कि वह केंद्र के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने मंगलवार को केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह इतिहास में पहली बार हुआ है। भारत कि दिल्ली सरकार का एक बजट होल्ड पर रख दिया गया।
केजरीवाल ने विधानसभा में कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि विज्ञापन के लिए आवंटन बुनियादी ढांचे के लिए आवंटन से अधिक है। अशिक्षित लोग ऊपर से नीचे तक बैठे हैं। क्या अधिक है - बुनियादी ढांचे के लिए 20,000 करोड़ रुपये या विज्ञापन के लिए 500 करोड़ रुपये?’’
उन्होंने 2023-24 के बजट को मंजूरी मिलने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘देर आए दुरुस्त आए और सवाल किया कि इसको लेकर मुद्दा बनाने की क्या जरूरत थी।’’
उन्होंने विधानसभा में बजट पेश करने में एक दिन की देरी करने को लेकर केंद्र और उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से कथित बाधा पर भी सवाल उठाये और कहा कि इसे अब बुधवार को सदन में पेश किया जाएगा। केजरीवाल ने कहा, ‘‘उन्होंने चार सवाल किए थे और हमने बजट में बिना किसी अन्य बदलाव के जवाब दिया। अब उन्होंने इसे मंजूरी दे दी है, जो साबित करता है कि उनका अहंकार संतुष्ट हो गया कि दिल्ली सरकार झुक गई।’’
उन्होंने यह भी कहा कि उपराज्यपाल के पास कोई आपत्ति उठाने, टिप्पणी करने या किसी फाइल पर कुछ भी लिखने की शक्ति नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार के मंत्रिमंडल के परामर्श को मानने को बाध्य हैं।
इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा उठाए गए मुद्दों का आप सरकार ने समाधान कर दिया।
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर सदन को "गुमराह" करने का आरोप लगाते हुए एक सूत्र ने कहा, ‘‘आप सरकार द्वारा बजट फ़ाइल सोमवार रात उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी गई थी। उन्होंने उपराज्यपाल के नौ मार्च के पत्र में उठाई गई सभी चिंताओं को शामिल किया और समाधान किया। क्या वे इसे पहले नहीं कर सकते थे? क्या इस नौटंकी की आवश्यकता थी?’’
केजरीवाल ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कोई खींचतान नहीं होती, तो दिल्ली 10 गुना ज्यादा तरक्की करती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘‘बड़ा भाई’’ बताते हुए कहा कि वह केंद्र के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि केंद्र और राज्य सरकार के बीच कोई टकराव नहीं होता, तो दिल्ली में 10 गुना अधिक विकास हुआ होता। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार काम करना चाहती है, टकराव नहीं। हम टकराव से थक गए हैं, क्योंकि इससे किसी का भला नहीं होता। हम प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, हम कोई झगड़ा नहीं चाहते।’’
केजरीवाल ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री दिल्ली जीतना चाहते हैं, तो उन्हें पहले शहर के लोगों का दिल जीतना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा उसके लिए मंत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप बड़े भाई हैं और मैं छोटा भाई। यदि आप मेरा समर्थन करते हैं, तो मेरी ओर से भी ऐसा किया जाएगा। यदि आप छोटे भाई का दिल जीतना चाहते हैं, तो उसे प्रेम करें।’’
केजरीवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजने की प्रथा संविधान और लोकतंत्र के मूल ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि प्रावधान न्यायिक पड़ताल में "दो मिनट" भी नहीं टिक पाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘बजट आज पेश किया जाना था। केंद्र ने इसे रोक दिया। हमने बजट में कोई बदलाव किए बिना गृह मंत्रालय के सवाल का जवाब दिया और उन्होंने अब इसे मंजूरी दे दी है। वे चाहते थे कि मैं झुक जाऊं। यह उनका अहंकार है और कुछ नहीं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के बजट पर केंद्र की आपत्ति परंपरा से हटकर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार हुआ।’’
केजरीवाल ने कहा, ‘‘यह संविधान पर हमला है। यहां तक कि बी आर आंबेडकर ने भी ऐसी स्थिति के बारे में नहीं सोचा होगा, जब केंद्र सरकार राज्य सरकार के बजट की प्रस्तुति को रोक देगी।’’ उन्होंने गृह मंत्रालय के पत्र को कथित रूप से दबाकर रखने को लेकर मुख्य सचिव, वित्त सचिव और दिल्ली सरकार के अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए सदन में एक प्रस्ताव का भी समर्थन किया।
केजरीवाल ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘वे तीन दिनों तक इसे दबाकर बैठे रहे और आखिरकार 20 मार्च को सूचित किया कि गृह मंत्रालय ने सवाल उठाए हैं। हम आपत्तियों को चुनौती दे सकते थे, लेकिन इस अचानक घटनाक्रम के चलते हमने सवालों का जवाब दिया और उपराज्यपाल को फाइल भेजी।’’
आप नेता राघव चड्ढा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "भारत की आजादी के 75 साल हो गए हैं और देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि दिल्ली सरकार को बजट पेश करने से रोका गया हो।" उन्होंने कहा, "सरकार एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई थी, और अगर वह राज्य विधानसभा में बजट पेश नहीं कर सकती है, तो वह और क्या कर सकती है?"
75 साल में पहली बार हो रहा है कि केंद्र सरकार Delhi की जनता द्वारा चुनी सरकार का Budget रोक रही है।
अगर बजट पास नहीं होगा तो Teachers-Doctors को Salary कहाँ से जाएगी? Flyover, Schools-Hospitals कैसे बनेंगे?
केंद्र दिल्ली की जनता से अपनी हार का बदला ले रही है
-MP @raghav_chadha pic.twitter.com/oWV4kq7mFk
— AAP (@AamAadmiParty) March 21, 2023
उन्होंने कहा, "अगर बजट पास नहीं हुआ तो सरकारी स्कूल के शिक्षकों और मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों का वेतन कहां से मिलेगा? दवाएं कहां से आएंगी और अस्पताल का खर्च कैसे चलेगा?..भाजपा सरकार सब कुछ बंद कर देना चाहती है।" राघव चड्ढा ने की शिकायत
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी (आप) और आप के सदस्यों से बदला नहीं ले रही है, बल्कि दिल्ली की जनता से बदला ले रही है, क्योंकि उन्होंने दिल्ली में हर चुनाव में भाजपा को हरा दिया।
आप नेता ने कहा, "बीजेपी पिछले 25 सालों से दिल्ली में अपनी सरकार नहीं बना पा रही है और इसलिए बीजेपी दिल्ली के लोगों के साथ ऐसा कर रही है।"
इससे पहले, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी दे दी है और इसके बारे में आप सरकार को बता दिया गया है।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रियों तथा आम आदमी पार्टी पर ‘‘दिल्ली के लोगों तथा मीडिया को गुमराह करने तथा आप सरकार की नाकामियों से उनका ध्यान भटकाने के एकमात्र उद्देश्य से जानबूझकर झूठे बयान देने’’ का आरोप भी लगाया।
उपराज्यपाल कार्यालय में एक सूत्र ने कहा, ‘‘वह कह रहे हैं कि केंद्र ने राज्य का बजट रोक दिया है। यह साफ तौर पर झूठ है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, न कि राज्य और इसलिए यह पूर्ण रूप से भारत सरकार का हिस्सा है। साथ ही बजट रोका नहीं गया।’’
आप ने सोमवार को आरोप लगाया था कि केंद्र ने दिल्ली का बजट रोकने की साजिश रची। वहीं, केजरीवाल ने मोदी को पत्र लिखकर ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्र ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार, विधानसभा में दिल्ली का बजट पेश करने से पहले भारत के राष्ट्रपति की पूर्व सहमति और मंजूरी की आवश्यकता होती है और पिछले 28 साल से यह प्रक्रिया चल रही है।
सूत्र ने आरोप लगाया, ‘‘बजट के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति मांगने से पहले बजट पेश करने की तारीख तय करना, यह अपने आप में गलत है और आप सरकार की दुर्भावना को दिखाता है।’’