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हमीरपुर उप चुनाव के नतीजों से बदली यूपी की फिजा, अब 11 सीटों पर जोर आजमाइश

हमीरपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव के नतीजों ने उत्तर प्रदेश में 11 और सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव की...
हमीरपुर उप चुनाव के नतीजों से बदली यूपी की फिजा, अब 11 सीटों पर जोर आजमाइश

हमीरपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव के नतीजों ने उत्तर प्रदेश में 11 और सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव की सियासी बयार बदल दी है। राज्य में 11 और सीटों पर उप चुनाव होने हैं। हमीरपुर में भाजपा की जीत से उसका आत्मविश्वास बढ़ा है। लेकिन बहुत कम अंतर से दूसरे नंबर पर रही सपा का भी उत्साह बढ़ गया है। 

इस उपचुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक रखी है। भाजपा ने दस सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा ने एक सीट प्रतापगढ़ सदर सहयोगी दल अपना दल के लिए छोड़ा है। सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। यह उपचुनाव इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि, इसके बाद शिक्षक एमएलसी और स्नातक एमएलसी चुनाव भी होने हैं।

सभी दलों के सामने है चुनौती

चुनाव वाले क्षेत्रों में भाजपा नेता और पदाधिकारी सरकार की उपलब्धियां बता रहे हैं तो विपक्षी नेता और पदाधिकारी सरकार की कमियां गिना रहे हैं। जिन 11 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है, उनमें नौ सीटें भाजपा के पास थीं। अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट बसपा और रामपुर सीट सपा के पास थी। ऐसे में भाजपा के सामने इन दोनों सीटों पर भी कमल खिलाने की चुनौती है। साथ ही सपा और बसपा के लिए बढ़त बनाने की।

सबके अपने-अपने दावे

पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने ‘आउटलुक’ को बताया कि पार्टी की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन परिणामों को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता। हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि सामान्य तौर पर उपुचनाव में वोटिंग फीसदी कम होती है। तमाम लोग उपचुनाव की महत्ता को नहीं समझते हैं। इसलिए तमाम मतदाता इस चुनाव से परे होते हैं। जिस कारण पार्टी को जब भी मतदान प्रतिशत कम होता तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है। इसके बावजूद हमीरपुर में हमने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। हम रामपुर और जलालपुर दोनों सीटों पर कमल खिलाएंगे। हमारे लिए सीट बढ़ाने का सवाल है, घटाने का नहीं। चुनौती सपा बसपा को एक दूसरे को पछाड़ने की है, भाजपा का स्थान प्रथम नंबर पर सुरक्षित है।

सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने ‘आउटलुक’ को बताया कि ढाई साल में भाजपा सरकार ने जो जनविरोधी काम किए हैं। उसी का जनता इस उपचुनाव में जनादेश देने वाली है। कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि पार्टी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में है। हमें उम्मीद है कि उपचुनाव में अगर धांधली नहीं हुई तो ज्यादातर सीटें हम जीतेंगे।

कौन, कहां से है मैदान में

लखनऊ कैंट की विधायक रीता बहुगुणा के प्रयागराज संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद लखनऊ कैंट विधानसभा की सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर होने वाले उप-चुनाव में कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह और बसपा ने अरुण द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है। साथ ही सपा ने पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का टिकट काटकर मेजर आशीष चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि भाजपा ने सुरेश तिवारी को मैदान में उतारा है।

जैदपुर (सुरक्षित) से भाजपा विधायक रहे उपेंद्र सिंह रावत के बाराबंकी संसदीय सीट से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। उप-चुनाव के लिए कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने अखिलेश आंबेडकर और भाजपा ने अंबरीश रावत को टिकट दिया है। सपा ने गौरव कुमार रावत को उम्मीदवार बनाया है।

रामपुर से सपा के कद्दावर नेता आजम खां नौ बार विधायक रहे हैं, अब वह सांसद हैं। सपा ने उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को टिकट दिया है। बसपा ने जुबैर अहमद खान को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने अरशद अली और भाजपा ने भारत भूषण गुप्ता को टिकट दिया है।

बलहा (सुरक्षित) से विधायक अक्षवर लाल बहराइच संसदीय सीट से सांसद हो गए हैं। यहां से बसपा ने रमेश गौतम और सपा ने किरन को मैदान में उतारा है। भाजपा ने सरोज सोनकर को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने मन्नू देवी को टिकट दिया है। 

जलालपुर से बसपा विधायक रहे रितेश पांडेय अम्बेडकरनगर के सांसद बन गए हैं। बसपा ने अपने विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा की पुत्री डॉ. छाया वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने सुनील मिश्र पर दांव लगाया है। भाजपा ने राजेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने सुभाष राय को मैदान में उतारा है।

गोविंदनगर सीट से विधायक रहे सत्यदेव पचौरी के कानपुर संसदीय सीट से सांसद बनने से यह सीट खाली हुई थी। उप-चुनाव के लिए बसपा ने देवी प्रसाद तिवारी और कांग्रेस ने करिश्मा ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने सुरेंद्र मैथानी को टिकट दिया है और सपा ने सम्राट विकास को उम्मीदवार बनाया है।

मानिकापुरः चित्रकूट में विधायक आरके सिंह पटेल के बांदा से सांसद बनने के बाद हो रहे उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने रंजना पांडेय और बसपा  राजकरण कोल को उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा ने आनंद शुक्ला और सपा ने डॉ. निर्भय सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है।

प्रतापगढ़ सदर से अपना दल (एस) के संगम लाल विधायक थे। उनके भाजपा से सांसद बनने के कारण यह सीट खाली हो गई। इस सीट पर कांग्रेस ने डॉ. नीरज तिवारी तो बसपा ने रणजीत सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने बृजेश वर्मा पटेल को टिकट दिया है। जबकि भाजपा ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

गंगोहः सहारनपुर की गंगोह सीट के विधायक प्रदीप चौधरी भी कैराना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत गए थे। उप-चुनाव में सपा ने इंद्रसेन, बसपा ने चौधरी इरशाद और कांग्रेस ने काजी नोमान मसूद को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने कीरत सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।

इगलासःअलीगढ़ की इगलास विधानसभा से विधायक बने राजवीर सिंह दिलेर अब हाथरस से भाजपा सांसद हैं। उप-चुनाव में कांग्रेस ने उमेश दिवाकर और बसपा ने अभय कुमार बंटी पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने राजकुमार सहयोगी को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। सपा के समर्थन से रालोद प्रत्याशी के रुप में मुकेश धनगर या सुमन दिवाकर यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा है। इस सीट पर सपा जल्द ही उम्मीदवार घोषित कर सकती है।

घोसीः फागू सिंह चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के बाद इस सीट पर उप-चुनाव हो रहा है। बसपा ने कय्यूम अंसारी और कांग्रेस ने राजमंगल यादव पर भरोसा जताया है। भाजपा ने विजय राजभर को टिकट दिया है। जबकि सपा ने सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

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