उत्तर प्रदेश में बीते बत्तीस सालों से सत्ता से बाहर रहने वाली कांग्रेस 2022 में मजबूत वापसी के लिये जोर आजमाइश कर रही है। अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कांग्रेस उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलनरत है, वहीं दूसरी ओर पार्टी अपने संगठन को भी मजबूत करने में जुटी हुई है। प्रदेश में आंदोलन को जमीनी स्तर पर भी धारदार बनाने के लिये मैनीफेस्टो कमेटी की बैठक कर रणनीति भी तैयार कर रही है। पार्टी जनता को लुभाने के लिये चुनाव से पहले ही अपना जन घोषणा पत्र तैयार करेगी।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को यूपी का प्रभारी बनाये जाने के बाद से पार्टी में नई जान आ गई है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भले ही अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली हो, लेकिन उभ्भा से लेकर हाथरस तक जिस तरीके से प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश सरकार की मजबूत घेरेबंदी की है, उससे कार्यकर्ताओं में जोश है। इस जोश का असर आगामी चुनाव में निश्चितरूप से नजर आयेगा। अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कांग्रेस पहले से ज्यादा धारदार नजर आ रही है।
बीते दस सालों में कांग्रेस इतनी सक्रिय कभी नजर नहीं आई, जितना प्रियंका और अजय लल्लू की जोड़ी के आने के बाद दिख रही है। मात्र सात विधायक होने के बावजूद कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के रूप में नजर आई है। योगी सरकार को घेरने वाले किसी भी मुद्दे पर कांग्रेस ने मौका नहीं छोड़ा। कोरोना काल में मजदूरों की घरवापसी के लिये बस का मामला हो या फिर सीएए का, कांग्रेस हर मौके पर जनता के पक्ष में खड़ी होकर भाजपा सरकार को बैकफुट पर ढकेलने में जुटी रही।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में जमीनी थाह लेने के लिये दिल्ली की एक टीम को 27 एवं 28 को दो दिवसीय दौरे पर बहराइच भेज रही है। यह टीम जनता का मूड भांपकर आगे की रणनीति तैयार करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश सरकार को घेरा जा सके। प्रियंका प्रभारी बनने के बाद से ही पश्चिम यूपी के जिलों में कई मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश कर संचार किया, अब रणनीतिक रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण पूर्वी यूपी पर उनकी नजर है। कांग्रेस को जमीन पर पूरी तरह सक्रिय करने के लिये जल्द ही संगठन एवं प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तार की तैयारी है।
संगठन विस्तार में कांग्रेस की नजर जातीय समीकरणों पर भी रहेगी। दलित एवं मुस्लिम वोटर को अपने पाले में करने के लिये कांग्रेस इन वर्ग से आने वाले लोगों को महत्व देगी। नसीमुद्दीन अंसारी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर पार्टी बुंदेलखंड में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस जिस तरीके से आक्रामक रही है, उसका फायदा भी उसे आने वाले विधानसभा चुनाव में मिलेगा। कानून व्यवस्था को लेकर प्रियंका और अजय लल्लू सड़कों पर उतरने के साथ ही आंदोलन को धार दे रहे हैं।
किसान आंदोलनों में भी प्रियंका और लल्लू की सक्रियता उन्हें बसपा और सपा से आगे खड़ा कर रही है। कांग्रेस की सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ और मथुरा में किसान पंचायतें हो चुकी हैं, जिनमें से तीन में प्रियंका वाड्रा स्वयं शामिल हुईं। प्रियंका अल्पसंख्यक राजनीति की बजाय साफ्ट हिंदुत्व को लेकर आगे बढ़ रही हैं, ताकि भाजपा को आरोप लगाने का मौका ना मिले। इसी क्रम में प्रियंका शाकुम्भरी देवी मंदिर में पूजन, प्रयागराज में गंगा स्नान और वृंदावन में बांके बिहारी का दर्शन कर हिंदू वोटरों को लुभाने का प्रयास किया है। निषादों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए प्रयागराज पहुंचकर सरकार को घेरने के साथ मल्लाह वोटरों को संदेश देने की कोशिश की है।
आंदोलन और सियासी मुद्दों के जरिये योगी सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी यूपी कांग्रेस पहली मार्च से नदी अधिकार शुरू करने जा रही है। यात्रा घूरपुर में यमुना किनारे आबाद बसवार गाँव से शुरू होगी। इसके अंतर्गत कांग्रेस कार्यकर्ता नदी किनारे गाँवों में पदयात्रा करते हुए बलिया जायेंगे। निषाद बिरादरी को उनके अधिकार दिलाने का संकल्प लिया जाएगा और अवैध खनन के मसले भी उजागर किए जाएंगे। पदयात्रा 20 मार्च को बलिया में माँझी घाट पर समाप्त होगी।