वह अपनी पहचान पार्टी कार्यकर्ता की बजाय एक बड़े जनाधार वाले नेता के रुप में बनाना चाहते हैं । वरुण की यह कोशिश बेशक राजनीतिक हो सकती है, लेकिन फिलहाल आत्महत्या के लिए मजबूर और बदहाली के कगार पर खड़े लगभग 3600 किसानों से उन्होंने दिल का रिश्ता जोड़ लिया है।
वेतन से उन्हें आर्थिक मदद कर चुके वरुण अब ‘सपनों का घर’ मुहैया कराने वाले हैं। अपने संसदीय क्षेत्र मे वह मंगलवार को ऐसे सौ लोगों को घर की चाबी देने वाले हैं जिनका परिवार कभी पक्के मकान में नहीं रहा है।
अगले दो ढाई वर्षो में प्रदेश के सबसे पिछड़े पंद्रह जिलों में ऐसे दो हजार परिवारों को छत मुहैया कराने का वरुण का लक्ष्य है। चार महीने पहले इलाहाबाद में हुई भाजपा कार्यकारिणी के वक्त शहर वरुण के पोस्टरों से पटा पड़ा था। उनके समर्थकों ने कुछ मौकों पर अनुशासन की दीवार तोड़ते हुए भी मुख्यमंत्री दावेदारी के नारे लगाए थे। प्रदेश में भाजपा का चेहरा बनने की तस्वीर तो नहीं दिख रही है, लेकिन वरुण ने अपने क्षेत्र से बाहर निकलकर पैठ बनाना शुरू कर दिया है।
सामाजिक कार्यों के जरिए उन वर्गों के दिलों में भी जगह बनानी शुरू की है जो कभी भयभीत हुआ करते थे। हालांकि, खुद वरुण इसे राजनीतिक कवायद नहीं मानते हैं लेकिन पिछले ढाई वर्ष में वह ऋण के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर चुके और कर्ज के तले कराह रहे 3540 लोगों को आर्थिक मदद कर चुके हैं।
उन्होंने बैंको, स्थानीय लोगों व अपने कार्यकर्ताओं की मदद से ऐसे लोगों की पहचान की है जो किसी भी क्षण टूट सकते हैं। सोच में इस बदलाव का कारण पूछने पर वरुण कहते है, ‘समय के साथ आदमी बहुत कुछ सीखता है। मैं समाज के जरिये राजनीति का स्तर उठाना चाहता हूं। समाज को जोड़कर मजबूर लोगों को ‘जीवन का दूसरा मौका’ देना चाहता हूं।
मैंने समाज के समृद्ध वर्ग को भी जोड़ा है। पारदर्शिता रखने के लिए उन लोगों से खुद ही किसानों को चेक दिलाया जाता है।’ अब उन लोगों को पक्का मकान मुहैया कराने की कवायद शुरू हुई है जिनके पूर्वजों को भी कभी इसका सुख नहीं मिला। सुल्तानपुर में सौ मकान तैयार हैं और लाभार्थियों की सूची में 21मुस्लिम हैं।
बतौर वरुण मकान मुहैया कराने की योजना प्रदेश के 15 सबसे पिछड़ों जिलों में चलेगी और इसके लिए देश विदेश के अलग-अलग हिस्सों में बसे उत्तर प्रदेश के समृद्ध लोगों से मदद ली जाएगी।