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वरुण गांधी के पांच बयान जिसने भाजपा को किया असहज

वरुण गांधी अक्सर अपने असहज कर देने वाले बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। कभी-कभी वे अपनी पार्टी लाइन...
वरुण गांधी के पांच बयान जिसने भाजपा को किया असहज

वरुण गांधी अक्सर अपने असहज कर देने वाले बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। कभी-कभी वे अपनी पार्टी लाइन से भी हटकर ऐसी बाते कह जाते हैं जिससे काफी हैरानी होती है। हालांकि वरुण के इन बयानों को समय-समय पर ‘अपनी ताकत का एहसास’ दिलाने की मानसिकता से भी जोड़कर देखा जाता रहा है। अब भाजपा नेता और यूपी के सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने अपने एक लेख में युवाओं को राजनीति में आने के लिए आने वाली बाधाओं का उल्लेख किया है।

उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लिखे गए एक लेख को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर युवाओं को मौका दिया भी जाता है तो उनकी पारिवारिक विरासत के आधार पर।

उनका यह विचार इसलिए असहज करने वाला है क्योंकि वे खुद एक बड़े राजनीतिक परिवार से संबद्ध हैं। इसे खुद वरुण गांधी भी स्वीकार करते हैं।

इससे पहले वरुण ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर एक लेख लिखा था। इसे लेकर भी काफी बहस हुई थी। आइए वरुण गांधी के ऐसे पांच बयानों का लब्बोलुआब देखते हैं।

रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देना जारी रखना चाहिए

इसी साल सितबंर में वरुण गांधी ने नवभारत टाइम्स में लिखे अपने लेख में रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में रहने दिए जाने की वकालत की। वरुण के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने उनकी आलोचना करते हुए उनकी देशभक्ति पर ही सवाल खड़े कर दिए। वरुण गांधी ने अपने लेख में कुछ पुराने उदाहरणों और अंतरराष्ट्रीय संधियों का हवाला देते हुए कहा था कि भारत को रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देना जारी रखना चाहिए। उन्होंने इसके लिए परंपरा का तर्क भी दिया है। उन्होंने कहा कि आतिथ्य सत्कार और शरण देने की परंपरा का पालन करते हुए रोहिंग्याओं को शरण देना निश्चित रूप से जारी रखना चाहिए।

 

अमीरों को रियायत गरीबों को निचोड़ने का प्रयास

फरवरी 2017 में वरुण ने भाजपा शासित मध्यप्रदेश के इंदौर में कहा, “देश के ज्यादातर किसान चंद हजार रुपये का कर्ज न चुका पाने के चलते जान दे देते हैं लेकिन विजय माल्या पर सैंकड़ों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया होने के बावजूद वह एक नोटिस मिलने पर देश छोड़ कर भाग गया।” उन्होंने देश के बडे औद्योगिक घरानों पर बकाया कर्ज माफ करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “अमीरों को रियायत दी जा रही है, जबकि गरीबों की थोडी सी संपत्ति को भी निचोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।”

भाजपा में युवाओं के लिए मौका कम

सांसद बनने के बाद फरवरी 2015 में कानपुर में वरुण गांधी ने अपने बयान से सबको चौकाया। इस दौरान उन्होंने युवाओं को आगे आने के अवसरों की आवश्यकता पर अपने विचार रखे वरुण गांधी ने कहा कि युवा शक्ति को नज़रअंदाज करके कोई संगठन आगे नही बढ़ सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों की अपेक्षा भाजपा में युवाओं को आगे आने का मौका कम मिल पाता है।

आधार और सैलरी को लेकर मोदी सरकार पर बरसे

 अगस्त 2017 में संसद में शून्यकाल के दौरान सांसदों के खुद की सैलरी को बढ़ाने के अधिकार का विरोध किया। उन्होंने ना सिर्फ सैलरी बढ़ाने के अधिकार बल्कि आधार बिल को बिना गंभीर चर्चा के पास किए जाने का भी विरोध किया। शून्यकाल में अपनी बात को रखते हुए वरुण गांधी ने कहा कि सांसदों की सैलरी को बढ़ाने का अधिकार उन्हें नहीं देना चाहिए, बल्कि किसी ऐसे तंत्र को यह अधिकार दिया जाना चाहिए जो सांसदों के अधिकार क्षेत्र में ना हो। गांधी ने कहा कि कर से जुड़े बिल और आधार बिल को महज दो हफ्ते के भीतर पास कर दिया गया, इसे कमेटी के पास भी नहीं भेजा गया।

मोदी की रैली में महज एक चौथाई भीड़

फरवरी 2014 में वरूण गांधी ने कहा कि कोलकाता में मोदी की रैली में आने वाले लोगों की संख्या पार्टी के दावे की तुलना में महज एक चौथाई थी।

जबकि नरेंद्र मोदी की रैली में जुटी भीड़ की संख्या को लेकर पार्टी ने दो लाख लोगों के इकट्ठा होने का दावा किया है। वहीं, वरुण गांधी ने पार्टी के दावों को गलत बताकर सिर्फ पचास हजार लोगों के जुटने की बात कही। पार्टी के सांसद कहा कि मोदी की रैली में मौजूद भीड़ को पार्टी ने चार गुना बढ़ाकर बताया था।

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