इंडिया गठबंधन के नेताओं ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने को "संविधान की जीत" बताया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी फैसले पर खुशी जताई और भाजपा पर निशाना भी साधा।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने केजरीवाल को "लोकप्रिय और जन कल्याण समर्थक" मुख्यमंत्री बताया और भाजपा पर "संविधान के खिलाफ" होने और उसका "दुरुपयोग" करने का आरोप लगाया।
यादव ने एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, "दिल्ली के लोकप्रिय एवं जनकल्याणकारी मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल की जमानत 'संविधान की जीत' है। संविधान का दुरुपयोग वही लोग करते हैं जो संविधान के खिलाफ होते हैं। न्याय के दरवाजे पर दस्तक हमेशा सुनाई देती है। दुनिया इसी परंपरा पर अब तक आगे बढ़ी है और आगे भी बढ़ती रहेगी।''
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि आबकारी नीति घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सच्चाई और न्याय के लिए लड़ने वाले सभी लोगों में उम्मीद जगी है।
उन्होंने कहा कि यह भाजपा नीत एनडीए सरकार के लिए भी एक "झटका" है, जो अपने "राजनीतिक प्रतिशोध" के लिए संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।
सिद्धारमैया ने कहा कि केजरीवाल को जमानत देने और उन्हें जेल से रिहा करने के आदेश ने देश की न्यायपालिका में हमारे विश्वास को और पुख्ता किया है। उन्होंने कहा, "यह आदेश सच्चाई और न्याय के लिए लड़ने वाले सभी लोगों को उम्मीद देता है।"
उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश केंद्र की भाजपा सरकार के लिए एक फटकार है, जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। नफरत की राजनीति पर उतर आई @नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को इस अदालती आदेश से सबक लेना चाहिए और जाग जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि अंततः सत्य और न्याय की जीत होगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कानूनी मामले अदालत में सुलझाए जाते हैं, चुनावों के जरिए नहीं।
उन्होंने कहा, "उन्हें बधाई। जेल से बाहर आना केवल अदालत के माध्यम से होता है। यह बारामूला के लोगों के साथ विश्वासघात है, उन्हें बताया गया कि वे वोट के माध्यम से किसी को भी बाहर ला सकते हैं। किसी को भी वोट के माध्यम से रिहा नहीं किया जाता है, यह केवल अदालत के माध्यम से होता है।"
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, "ऐसा होना ही था। ऐसा हर मामले में होगा, क्योंकि सभी मामले फर्जी, मनगढ़ंत थे और दिल्ली भाजपा कार्यालय में रचे गए थे। सत्ता का हस्तांतरण होता रहता है। हेमंत सोरेन के मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी सुनें, पढ़ें और आज के मामले के बारे में पढ़ें- यह न केवल ईडी, आयकर और सीबीआई बल्कि उन लोगों के लिए भी तमाचा है, जिन्होंने यह साजिश रची।"
केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए राजद सांसद ने कहा, "इससे स्पष्ट संदेश गया है। सावधान रहें, कल जब आप सत्ता में नहीं होंगे, तो ये एजेंसियां आपके दरवाजे भी खटखटाएंगी। हमें उस समय भी बुरा लगेगा क्योंकि राजनीति में प्रतिशोध के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। लेकिन आज का फैसला स्वागत योग्य है। आप और उसकी कानूनी टीम को बधाई।"
इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि लंबे समय तक जेल में रखना पूरी तरह से स्वतंत्रता से वंचित करने के समान है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के जमानत बांड और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर राहत प्रदान की।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को मामले के गुण-दोष पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि ईडी मामले में लगाए गए नियम और शर्तें यहां भी लागू होंगी।
लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें इस मामले में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिली थी। अदालत ने उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने के लिए 21 दिनों की राहत दी थी। हालाँकि, 26 जून को उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक अलग आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार कर लिया, जबकि वह अभी भी न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में थे।