राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले को लेकर बुधवार को कैग (सीएजी) से मुलाकात की। कांग्रेस नेताओं ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि से मांग की कि इस सौदे में कथित तौर पर हुए ‘घोटाले’ के संदर्भ में एक तय समय सीमा के भीतर ‘विशेष एवं फोरेंसिक ऑडिट’ किया जाए ताकि जनता सच्चाई जान सके और सरकार की जिम्मेदारी तय हो सके।
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, आनंद शर्मा, रणदीप सुरजेवाला, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक समेत पार्टी के अन्य नेता शामिल थे। मीटिंग के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमने कैग को राफेल डील में हुई अनियमितताओं से जुड़े जरूरी दस्तावेजों के साथ विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। उम्मीद है कि इसकी विस्तार से जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि राफेल जेट विमानों की खरीद में बहुत बड़ा घपला हुआ है। उसमें सारे नियम ताक पर रखकर एकतरफा फैसला प्रधानमंत्री ने किया है। इससे एकतरफ देश की सुरक्षा से समझौता हुआ है, उसके साथ-साथ यह तय कीमत से कई गुणा पर खरीदे जा रहे हैं।
कांग्रेस के प्रवक्णता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हमने कैग को बताया कि किस प्रकार से मोदी सरकार ने देश को 41 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया और किस तरह सरकारी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट छीनकर एक निजी कंपनी को दिया गया। हमने सारे तथ्य कैग के समक्ष रखे। कैग ने आश्वासन दिया कि वह संविधान और कानून के मुताबिक, राफेल मामलों के सभी कागज मंगाकर जांच कर रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाएगी।
36 राफेल खरीदने का ही क्यों लिया फैसला
इससे पहले मंगलवार को पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी राफेल मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि 126 राफेल खरीदने का प्रस्ताव था तो इसे घटाकर 36 क्यों किया गया? एंटनी ने कहा कि हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल करार लगभग पूरा हो चुका था। 2015 में जब एनडीए की सरकार आई तो 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया। जब एयरफोर्स ने 126 विमान मांगे थे तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों किया, इसका जवाब देना चाहिए।
जेपीसी करें जांच
एंटनी ने कहा कि हमारी मांग पहले दिन से साफ है कि संयुक्त संसदीय समिति इस मामले की जांच करे। सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद में रखें। यूपीए शासनकाल के दौरान एचएएल मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी। मोदी सरकार के समय इतिहास में पहली बार एचएएल ने अलग-अलग बैंकों से करीब एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया।