राफेल डील पर पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के आरोपों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा कि यह सौदा यूपीए सरकार के दौरान बनाए गए नियमों के तहत हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार के समय में ही सरकारी कंपनी प्रॉडक्शन टर्म्स पर डिसॉल्ट एविएशन से सहमत नहीं हो सकी। ऐसे में यूपीए सरकार के समय में ही एचएएल डील से बाहर हो गई थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस जो आरोप लगा रही है, उन आरोपों की जिम्मेदारी उसे खुद लेनी चाहिए। यह डील यूपीए सरकार के दौरान नहीं हुई। यूपीए सरकार के दौरान जो चीजें और नहीं हो पाईं उनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डिसाल्ट उत्पादन शर्तों पर सहमत नहीं हुए जिसके चलते एचएएल और राफेल के बीच करार नहीं हो सका। रक्षा मंत्री ने कहा कि क्या यह साफ तौर पर नहीं बताता है कि एचएएल का साथ किसने नहीं दिया। यह सब किसकी सरकार के दौरान हुआ।
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
इससे पहले पूर्व रक्षा मंत्री एवं कांग्रेस नेता एके एंटनी ने राफेल डील को लेकर मोदी सरकार से सवाल किया। एंटनी ने पूछा कि राफेल डील यदि सस्ती थी तो सरकार ने 126 से ज्यादा लड़ाकू विमानों की खरीद क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में दावा किया था कि नए एग्रीमेंट में एयरक्राफ्ट यूपीए डील की तुलना में 9 फीसदी सस्ता मिल रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह 20 फीसदी सस्ता मिल रहा है जबकि एयर फोर्स के एक अधिकारी ने कहा कि यह 40 फीसदी सस्ता है। अगर इतना ही सस्ता है तो 126 से ज्यादा क्यों नहीं खरीदा गया। उन्होंने सवाल किया कि आखिर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से बचकर सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है?