कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को समान नागरिक होने के संवैधानिक सिद्धांत के विरुद्ध बताया है। साथ ही सरकार से पूछा है कि उसने सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को ही इस कानून के दायरे में लाने का निर्णय किस आधार पर लिया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा कि इस कानून का देशभर में विरोध हो रहा है और कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई हैं। सरकार सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए इस गैर-संवैधानिक कानून के लाने का आधार नहीं बता रही है, इसलिए लोग विरोध कर रहे हैं।
श्रीलंका के तमिलों को शामिल क्यों नहीं किया
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत की सीमा से लगे अन्य कई देश हैं लेकिन वहां के नागरिकों को यह अधिकार नहीं दिया गया है। उनका कहना था कि अगर पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी लोगों के लिए सरकार यह कानून लेकर आयी है तो फिर श्रीलंका के तमिलों को शामिल क्यों नहीं किया गया। श्रीलंका में तमिल भी प्रताड़ित हैं।
क्या कोई सर्वेक्षण किया गया
कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी ने कहा कि यह कानून संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इसमें तीन देशों के अलावा अन्य किसी पडोसी मुल्क के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को यह अधिकार नहीं दिया गया है। सरकार अधिकार का प्रमाणिक आधार भी नहीं बता रही है। क्या सरकार ने इन तीन देशों में कोई सर्वेक्षण कराया है। साथ ही सरकार इन नागरिकों को प्रताड़ित कह रही है लेकिन प्रताड़ना शब्द का जिक्र कानून में नहीं है।