कल यानी रविवार 12 सितंबर को लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के एक साल पूरे होने पर पटना में बरसी कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें कई महीनों से बगावती तेवर अख्तियार किए हुए चिराग के चाचा और पासवान के भाई बड़े भाई पशुपति कुमार पारस भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। वहीं, तेजस्वी, जीतन राम मांझी समेत कई अन्य नेता भी पहुंचे। लेकिन, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं पहुंचे। हालांकि, जनसंपर्क विभाग की तरफ से एक लाइन का शोक संदेश व्यक्त किया गया।
अब राज्य सरकार में मंत्री सुमित सिंह ने एक बयान देकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। सुमित सिंह ने चिराग द्वारा आयोजित किए गए बरसी कार्यक्रम को पोलिटिकल माइलेज करार दिया है। उनका कहा है कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की मृत्य पिछले साल 8 अक्टूबर को हुई थी। जबकि, चिराग पासवान ने उनकी बरसी 12 सितंबर को आयोजित की है। आगे सुमित सिंह ने कहा है कि यदि हम सनातन पंचाग यानी हिंदू कैलेंडर को भी देखें तो भी ये तिथि काफी आगे-पीछे है।
दरअसल, ये सवाल कई लोग उठा रहे हैं। इस पर लोजपा की तरफ से कोई बयान अभी तक नहीं आया है। आउटलुक से बातचीत में हिंदू शास्त्र को जानने वाले एक पंडित बताते हैं, "बरसी का मतलब ही एक साल बाद होता है। पिछले साल 8 अक्टूबर को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि थी। जबकि 12 सितंबर को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि थी।"
आगे पंडित बताते हैं कि बरसी बराबर तिथि को ही मनाई जाती है। अब ये कार्यक्रम कैसे आयोजित किया गया, लोजपा परिवार ही जाने।
इस बरसी कार्यक्रम में राज्य के राज्यपाल फागू चौहान भी पहुंचे थे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम में आने के बाद कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं गया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार नहीं पहुंचे हैं यह उनका व्यक्तिगत राय हो सकता है। तेजस्वी ने कहा कि रामविलास पासवान हमलोगों के अभिभावक रहे हैं। बिहार ही नहीं बल्कि देश के बड़े नेताओं में से एक थे।
चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच किसकी लोजपा को लेकर जंग छिड़ी हुई है। चिराग अपनी खोई ज़मीन को पाने के लिए आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं।