तीन दशकों में पहली बार योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में भाजपा का प्रत्याशी गोरखनाथ मंदिर से बाहर का होगा। गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के साथ-साथ यूपी की राजनीति का अहम केंद्र है।
योगी के सीएम बनने के बाद गोरखपुर की सीट खाली हुई है। 11 मार्च को यहां उपचुनाव होना है। सोमवार को भाजपा ने यहां से उपेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है। उपेंद्र शुक्ला पर सबकी नजरें इसलिए होंगी क्योंकि एक तरह से उन्हें योगी का गढ़ संभालना है और भाजपा किसी भी कीमत पर इस सीट को गंवाना नहीं चाहेगी।
कौन हैं उपेंद्र शुक्ला?
उपेंद्र दत्त शुक्ला भाजपा की क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं। उपेंद्र शुक्ला काफी लंबे समय से पार्टी और जनता के बीच सक्रिय हैं। लेकिन अब तक उन्हे एक जनप्रतिनिधि के तौर पर काम करने का मौका नही मिला है हालांकि वह कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से अपना भाग्य भी आजमा चुके हैं लेकिन पार्टी का सहयोग उनको नहीं मिला पाया था। उनकी जगह किसी और को पार्टी का सिम्बल मिल गया था।
पूर्वांचल में भाजपा का ब्राह्मण चेहरा
पूर्वांचल में उनकी पहचान ब्राह्मण चेहरे के रूप में होती है। उपेंद्र शुक्ला की संगठन और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। वह राज्यसभा सांसद और वर्तमान में केंद्र में मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के बेहद करीबी बताए जाते है। उपेंद्र शुक्ला ने जिला अध्यक्ष के रुप में भी पार्टी को अपनी सेवा दी है। प्रदेश में जब राजनाथ सिंह की सरकार थी, तो उपेंद्र शुक्ला गोरखपुर में पार्टी के जिलाध्यक्ष थे।
बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष
उपेंद्र शुक्ला छात्र राजनीति से आते हैं। विद्यार्थी परिषद की राजनीति में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। मौजूदा समय में उपेंद्र शुक्ला भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं, जो 64 विधानसभा 12 लोकसभा क्षेत्रों का एक बहुत बड़ा संगठन क्षेत्र है। उपेंद्र शुक्ला इस पद पर 2014 से अभी तक बने हुए हैं।
सहजनवां से उनके नाम की चर्चा चली थी
सहजनवां से उनके नाम की चर्चा चली थी बीते विधानसभा चुनावों में सहजनवां से उनके नाम की चर्चा चल रही थी, कि वर्तमान विधायक शीतल पांडेय के नाम पर आम सहमति बनते ही कहानी खत्म हो गई।
गोरखपुर का राजनीतिक इतिहास
गोरखपुर के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो सदर लोकसभा सीट पर बीते 29 साल से मंदिर का कब्जा है।
आदित्यनाथ के गुरू महंत अद्वैत्यनाथ गोरखपुर से 1989 में हिंदू महासभा की तरफ से चुने गए थे। 1991 और 1996 में वो भाजपा से चुने गए। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने 1998 से लेकर 2014 तक लगातार पांच चुनाव में जीत दर्ज की।