भाजपा सांसद वरुण गांधी ने आज एक बार फिर अपनी ही पार्टी की सरकार पर निशाना साधा। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने देश में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्तखोरी की संस्कृति पर अंकुश लगाने के लिए जीरो आवर नोटिस दिया था, जिस पर पीलीभीत सांसद वरुण गांधी ने आड़े हाथों लेते हुए निशाना साधा।
दरअसल, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने 'देश में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने की प्रथा पर अंकुश लगाने' के लिए शून्यकाल नोटिस दिया था, इसी खबर को आधार बनाकर वरुण गांधी ने लिखा कि बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने सदन में ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ को खत्म करने पर चर्चा का प्रस्ताव रखा है, पर जनता को मिलने वाली राहत पर उंगली उठाने से पहले हमें अपने गिरेबां में जरूर झांक लेना चाहिए, क्यूं न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सभी सुविधाएं खत्म करने से हो?
श्री सुशील मोदी ने आज सदन में ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ खत्म करने पर चर्चा का प्रस्ताव रखा है।
पर जनता को मिलने वाली राहत पर उँगली उठाने से पहले हमें अपने गिरेबाँ में जरूर झांक लेना चाहिए।
क्यूँ न चर्चा की शुरूआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सभी सुविधाएँ खत्म करने से हो? https://t.co/msiSeWkvy8
— Varun Gandhi (@varungandhi80) August 3, 2022
इससे पहले वरुण गांधी ने घरेलू गैस कीमतों को लेकर सरकार को घेरा था। उन्होंने लिखा कि पिछले पांच सालों में 4.13 करोड़ लोग एलपीजी की सिंगल रीफिल का खर्च नहीं उठा सके, जबकि 7.67 करोड़ ने इसे केवल एक बार रीफिल किया। घरेलू गैस की बढ़ती कीमतें और नगण्य सब्सिडी के साथ गरीबों के 'उज्जवला के चूल्हे' बुझ रहे हैं। “स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन” देने के वादे क्या ऐसे पूरे होंगे?
बेरोजगारी को लेकर भी वरुण ने ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि ससंद में सरकार द्वारा दिए गए यह आंकड़े बेरोजगारी का आलम बयां कर रहे हैं। विगत 8 वर्षों में 22 करोड़ युवाओं ने केंद्रीय विभागों में नौकरी के लिए आवेदन दिया जिसमें से मात्र 7 लाख को रोजगार मिल सका है। जब देश में लगभग एक करोड़ स्वीकृत पद खाली हैं, तब इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है?