कांग्रेस ने सोमवार को पूछा कि क्या लंबे समय से विलंबित जनगणना का उपयोग लोकसभा में सीटों के आवंटन के लिए किया जाएगा और कहा कि परिवार नियोजन में दक्षिण भारतीय राज्यों की सफलता का परिणाम संसद में उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी के रूप में नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों को परिवार नियोजन में उनकी सफलता के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त फार्मूला तैयार किया जाना चाहिए कि ऐसा न हो।
उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य परिवार नियोजन में अग्रणी हैं। उन्होंने बताया कि प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर तक पहुँचने वाला पहला राज्य केरल था, जो 1988 में था, उसके बाद 1993 में तमिलनाडु, 2001 में आंध्र प्रदेश और 2005 में कर्नाटक था।
हालांकि, रमेश ने कहा कि पिछले कुछ समय से यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि इन सफलताओं के कारण संसद में इन राज्यों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम हो सकता है।
उन्होंने कहा, "इसीलिए 2001 में वाजपेयी सरकार ने संविधान में संशोधन किया (अनुच्छेद 82), ताकि लोकसभा में पुनर्समायोजन वर्ष 2026 के बाद की पहली जनगणना के प्रकाशन पर निर्भर हो जाए।"
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर 2026 के बाद पहली जनगणना का मतलब 2031 की जनगणना होती। लेकिन पूरे दशकीय जनगणना कार्यक्रम को बाधित कर दिया गया है और यहां तक कि 2021 के लिए निर्धारित जनगणना भी नहीं की गई है।
रमेश ने कहा, "हम अब यह सुनते आ रहे हैं कि लंबे समय से लंबित जनगणना जल्द ही शुरू होगी। क्या इसका इस्तेमाल लोकसभा में सीटों के आवंटन के लिए किया जाएगा? इसमें कोई संदेह नहीं है कि सफलता को दंडित नहीं किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त फार्मूला तैयार किया जा सकता है कि ऐसा न हो।