कैबिनेट की बैठक में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाने से जुड़े एक बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी। सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला हुआ। महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव के लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी। सरकार के इस कदम पर देश की महिला सांसदों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी पार्टियों की महिला सांसदों ने इसका विरोध किया है।
बता दें कि पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए गए अपने भाषण में इसका उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी सही समय पर हो।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने सरकार के कदम का विरोध करते हुए एनडीटीवी से कहा, "देखिए बुरा मत मानिए, मोदी रिजीम चल रहा है। मोदी हैं तो मुमकिन है। औरतों को क्या मानते हैं। वो बुरा माने या भला। इनको क्या फर्क पड़ता है। हम क्या खाएंगे या क्या पहनेंगे... कितने साल पर शादी करेंगे। सब मोदी जी के हाथ में है।"
उन्होंने कहा कि देखिए जब कश्मीर की बात उठी तब भी हमने कहा कि वोट करना चाहिए तब फैसला ले। उनकी राय क्या है वो कोई हेड मास्टर नहीं हैं। देश की महिलाओं से इस बारे में पहले राय लेनी चाहिए, वो क्या चाहती हैं?
शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि "जो भी फैसले हो रहे हैं महिलाओं से बग़ैर पूछे... बिना उनकी राय के लिए गए। जब वोटिंग ऐज (मतदान की उम्र) 18 साल है तो शादी के लिये 21 साल। कैबिनेट यह फैसला करेगी कितनी पढ़ाई करनी है, किससे शादी करनी है, कब बच्चा पैदा करना है... तो महिलाएं क्या करेंगी। चाइल्ड मैरिज भी बढ़ी है।"
कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने कहा, "अभी उनका स्पष्ट बहुमत है, वो यह कानून क्यों नहीं लाते कि महिलाओं को आरक्षण मिले संसद और विधानसभा में। महिलाओं के बारे में फैसला महिलाओं को ही लेने दें। महिलाओं को लेकर बिल लेकर ताकत दे, वो चीजें थोपे नहीं।
वहीं, लोकसभा सांसद नवनीत राणा ने महिलाओं के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया। नवनीत राणा ने एनडीटीवी से कहा कि अब लड़कियों के पास ज्यादा अधिकार होगा... शादी को लेकर फैसले करने का, पढ़ाई पूरा करने का। इसके लिए भारतीय समाज को भी तैयार करना होगा। इसमें समय लगेगा, जब शादी की उम्र 16 साल से 18 साल की गई थी उस वक्त भी कई लोगों को स्वीकार करने में समय लगा था।