भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले सिन्हा टीएमसी में शामिल हुए हैं। शामिल होने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। यशवंत सिन्हा कद्दावर नेता माने जाते हैं। वो पूर्व में सिविल अधिकारी भी रह चुके हैं।
यशवंत सिन्हा 1960 में आईएएस के लिए चुने गए और पूरे भारत में उन्हें 12वाँ स्थान मिला था आरा और पटना में काम करने के बाद उन्हें संथाल परगना में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया। उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा थे। दोनों के बीच में जोरदार बहस हो गई थी और यशवंत सिन्हा ने यहां तक कह दिया था कि आप एक आईएएस नहीं बन सकते, लेकिन मैं मुख्यमंत्री बन सकता हूं।
बीबीसी से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने इस बात का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है, “मैं हर संभव उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश करता। लेकिन उनके साथ आए सिंचाई मंत्री जो कि कम्युनिस्ट पार्टी से थे, मेरे प्रति आक्रमक होते चले गए। मेरा धैर्य जवाब दे गया और मैंने मुख्यमंत्री की तरफ देख कर कहा, सर मैं इस व्यवहार का आदी नहीं हूँ।“ बीबीसी से आगे यशवंत सिन्हा कहते हैं, “मुख्यमंत्री मुझे दूसरे कमरे में ले गए और स्थानीय एसपी और डीआईजी के सामने मुझसे कहा कि मुझे इस तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए था।“
सिन्हा ने आगे बताया है कि जब उन्होंने सीएम से कहा, “आपके मंत्री को भी मेरे साथ इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए था।” इस पर महामाया प्रसाद सिन्हा गर्म हो गए और उन्होंने मेज पर जोर से हाथ मार कर कहा कि “आपकी बिहार के मुख्यमंत्री से इस तरह बात करने की हिम्मत कैसे हुई? आप दूसरी नौकरी की तलाश शुरू कर दीजिए।“ उसके बाद सिन्हा ने कहा कि आप एक आईएएस नहीं बन सकते हैं लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं।
इतना ही नहीं यशवंत सिन्हा ने मंत्री पद का ऑफर ठुकरा दिया था। वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बहुत करीब थे। जब विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) की सरकार थी तो उन्होंने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में सिन्हा को जगह दी थी लेकिन उन्होंने इस पद को स्वीकार नहीं किया। इसे ठुकरा दिया था।