कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में सिद्धरमैया के लोकायुक्त जांच का सामना करने के मद्देनजर पार्टी के किसी भी नेता ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश नहीं किया है।
शिवकुमार ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, “(इस्तीफा) मांगने का कोई सवाल ही नहीं है। यह मुख्यमंत्री के खिलाफ राजनीतिक साजिश है। इसमें कोई दम नहीं है। वे (विपक्षी दल) बेवजह राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसका कानूनी तरीके से सामना करेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम प्रतिबद्ध हैं। हम उनका (सिद्धरमैया का) समर्थन करेंगे। उनके इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं उठता।”
जब उनसे कुछ नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने की खबरों के बारे में पूछा गया तो शिवकुमार ने कहा, “इसका कोई सवाल ही नहीं है। कोई भी दावा नहीं कर रहा है। जब मैं खुद उपमुख्यमंत्री होने के नाते दावा नहीं कर रहा हूं तो दूसरों का क्या मतलब है?”
विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट का यह आदेश उच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल थावरचंद गहलोत के सिद्धरमैया के खिलाफ जांच करने की मंजूरी को बरकरार रखने के एक दिन बाद आया है। सिद्धरमैया पर एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में गड़बड़ी के आरोप हैं।
पूर्व एवं निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए गठित विशेष अदालत ने मैसूर की आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए मैसूर के लोकायुक्त पुलिस को निर्देश जारी किया।
एमयूडीए साइट आवंटन मामले में, यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धरमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य एमयूडीए द्वारा “अधिग्रहित” उनकी भूमि की तुलना में अधिक था।
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां आवासीय लेआउट विकसित किया गया था।