तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद अब संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर घमासान देखने को मिल रहा है। सोमवार को भारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला विधेयक लोकसभा में पेश किया। जोरदार हंगामे के बीच जब बिल पेश हुआ तो विपक्ष की ओर से इसपर मतदान की मांग की गई है। जब वोटिंग हुई तो बिल पेश करने के पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े। कहा जा रहा है कि इसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में इसे पेश किया जाएगा। एक ओर इस बिल को सरकार अनुच्छेद 370 जैसा अहम बता रही है तो कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
सदन में नागरिकता संशोधन बिल पेश होते ही हंगामा हो गया। कांग्रेस, टीएमसी सहित कुछ विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के पेश होने का ही विरोध किया। कांग्रेस का कहना है कि इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है। जब केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया, उसके बाद इसपर अधीर रंजन चौधरी ने विरोध जताया। जिस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इसके बाद लोकसभा में नागरिकता बिल पेश पेश होने के लिए जो वोटिंग हुई उसमें 293 हां के पक्ष में और 82 विरोध में वोट पड़े। लोकसभा में इस दौरान कुल 375 सांसदों ने वोट किया।
यह बिल अनुच्छेद 14 का उल्लंघन: कांग्रेस
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बिल के पेश होने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया गया है, लेकिन अमित शाह ने कहा कि इस बिल के आने से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा। ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। यह बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है।
अमित शाह का जवाब
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। कुछ सदस्यों को लगता है कि समानता का आधार इससे आहत होता है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता फिर क्यों नहीं दी गई। अनुच्छेद 14 की ही बात है तो केवल बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई। समानता के आधिकार के कानून दुनियाभर में है। क्या आप वहां जाकर नागरिकता ले सकते हैं? वो ग्रीन कार्ड देते हैं, निवेश करने वालों, रिसर्च और डिवेलपमेंट करने वालों को देते हैं। रिजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर ही वहां भी नागरिकता दी जाती है।
लोकसभा में पास कराना आसान
लोकसभा में 303 सांसदों के साथ बहुमत वाली भाजपा के लिए निचले सदन में इस विधेयक को पारित कराना आसान है। हालांकि राज्यसभा में इस बिल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे जद्दोजहद करनी पड़ेगी। क्योंकि कांग्रेस ने घोषणा की है कि यह बिल देश के संविधान की मूल भावना और धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है।
संसद में बिल का जोरदार विरोध कर रही है कांग्रेस
कांग्रेस संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद यह बयान दिया। चौधरी के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्नील सुरेश और सचेतक गौरव गोगोई सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया। चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करेंगे क्योंकि यह हमारे संविधान, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और संस्कृति के विरूद्ध है।’’
सुरेश ने कहा, ‘‘हम इस विधेयक का पूरी ताकत से विरोध करेंगे क्योंकि यह संविधान विरोधी और धर्मनिरपेक्षता विरोधी है।’’
पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य : माधव
भाजपा महासचिव राम माधव ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का बचाव करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है क्योंकि वे धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के फैसले के ‘पीड़ित’ हैं। राजनीतिक दलों की ओर से की जा रही आलोचना का जवाब देते हुए माधव ने कहा कि इसी तरह का कानून आव्रजक (असम से निर्वासन) अधिनियम 1950 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तत्कालीन सरकार ने बनाया था।
माधव ने कहा, ‘‘मैं नागरिकता संशोधन विधेयक के आलोचकों को याद दिला दूं, नेहरू सरकार ने अवैध प्रवासियों को खासतौर पर पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए लोगों को निर्वासित करने के लिए 1950 में इसी तरह का कानून बनाया था और उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक इसके दायरे में नहीं आएंगे।’’
संसद में नागरिकता विधेयक का पारित होना गांधी के विचारों पर जिन्ना के विचारों की जीत होगी: थरूर
संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पारित होना निश्चित तौर पर महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगी। यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कही। थरूर ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत ‘‘पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण’’ भर बनकर रह जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ‘‘एक समुदाय’’ को निशाना बना रही है और दूसरे धर्मों की तुलना में उस समुदाय के लोगों की उन्हीं स्थितियों में उत्पीड़न पर उन्हें शरण नहीं दे रही है।
थरूर ने कहा कि अगर विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया भी जाता है तो उन्हें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट की कोई भी पीठ भारत के संविधान की मूल भावना का ‘‘घोर उल्लंघन’’ नहीं होने देगी। थरूर ने कहा, ‘‘यह सरकार का शर्मनाक काम है जिसने पिछले वर्ष राष्ट्रीय शरणार्थी नीति बनाने पर चर्चा करने से इनकार कर दिया, जिसे मैंने निजी सदस्य विधेयक के तौर पर प्रस्तावित किया था और तत्कालीन गृह मंत्री, गृह राज्यमंत्री और गृह सचिव के साथ निजी तौर पर साझा किया था।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि अचानक उन्होंने शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए आगे बढ़कर काम किया है, जबकि वास्तव में वे मूलभूत कदम भी नहीं उठाना चाहते जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शरणार्थी दर्जा तय करने में सुधार या शरणार्थियों से अच्छा व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। थरूर ने कहा, ‘‘इससे स्पष्ट होता है कि यह महज कुटिल राजनीतिक चाल है ताकि भारत में एक समुदाय को निशाना बनाया जा सके। इससे हम पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण भर रह जाएंगे।’’